Friday, 17 July 2015

महाभारत युद्ध में सेना की भूमिका

द्वापर युग में महाभारत युद्ध के समय उस समय के कई राज्यों ने भाग लिया था। युद्ध के दौरान सेना विभाग को कई संरचनाओं और विभागों में विशेष तौर पर रखा जाता था।
इसके साथ ही हथियार साम्रगी को भी बहुत ही बड़ी संख्या में एकत्रित की गई। कौरवों ने जहां श्रीकृष्ण की सेना लेकर खुशी से फूले नहीं समा रहे थे, तो पांडव वासुदेव को अपने साथ पाकर खुद को सौभाग्यशाली समझ रहे थे।
सेना विभाग एवं संरचनाएं
कौरवपक्ष की सेना
सहयोगी जनपदः गांधार, मद्र, सिन्ध, काम्बोज, कलिंग, सिंहल, दरद, अभीषह, मागध, पिशाच, कोसल, प्रतीच्य, बाह्लिक, उदीच्य, अंश, पल्लव, सौराष्ट्र, अवन्ति, निषाद, शूरसेन, शिबि, वसति, पौरव तुषार, चूचुपदेश, अशवक, पाण्डय, पुलिन्द, पारद, क्षुद्रक, प्राग्ज्योतिषपुर, मेकल, कुरुविन्द, त्रिपुरा, शल, अम्बष्ठ, कैतव, यवन, त्रिगर्त, सौविर, प्राच्य।
महारथीः भीष्म, द्रोणाचार्य, कृपाचार्य, कर्ण, अश्वत्थामा, मद्रनरेश शल्य, भूरिश्र्वा, अलम्बुष, कृतवर्मा, कलिंगराज श्रुतायुध,शकुनि,भगदत्तजयद्रथ,विन्द-अनुविन्द,काम्बोजराज सुदक्षिण, बृहद्वल, दुर्योधन व उसके ९९ भाई
पाण्डवपक्ष की सेना
सहयोगी जनपदः पांचाल, चेदि, काशी, करुष, मत्स्य, केकय, सृंजय, दक्षार्ण, सोमक, कुन्ति, आन‍र्त, दाशेरक, प्रभद्रक,अनूपक, किरात, पटच्चर, तित्तिर, चोल, पाण्ड्य, अग्निवेश्य, हुण्ड, दानभारि, शबर, उद्भस, वत्स, पौण्ड्र, पिशाच, पुण्ड्र, कुण्डीविष, मारुत, धेनुक,तगंण, परतगंण।
महारथीः भीम, नकुल, सहदेव, अर्जुन, युधिष्टर, द्रौपदी के पांचों पुत्र, सात्यकि, उत्तमौजा, विराट, द्रुपद, धृष्टद्युम्न, अभिमन्यु, पाण्ड्यराज, घटोत्कच, शिखण्डी, युयुत्सु, कुन्तिभोज, उत्तमौजा, शैब्य, अनूपराज नील।
महाभारत युद्ध में भाग लेने वाली सेना
पाण्डवों और कौरवों ने अपनी सेना के 7 और 11 विभाग अक्षौहिणी में बांटे थे। एक अक्षौहिणी में 21 हजार 870 रथ, 21 हजार 870 हाथी, 65 हजार 610 सवार और एक लाख 09 हजार 350 पैदल सैनिक होते हैं। उस समय को देखते हुए असंभव सेना संख्‍या नहीं माना जा सकता है।
मेगस्‍थनीज ने किया जिक्र
323 ईसा पूर्व यूनानी राजदूत मेगस्थनीज भारत आया था, तो उस वक्‍त चन्द्रगुप्त भारत का सम्राट् था। उसने अपनी यात्रावृतांत में इसका जिक्र किया था कि चन्‍द्रगुप्‍त के पास 30,000 रथों, 9000 हाथियों तथा 6,00,000 पैदल सैनिकों से युक्त सेना है।
चन्द्रगुप्त की कुल सेना उस समय 6,39, 000 के आस-पास थी, जिसके कारण सिकंदर ने भारत पर आक्रमण करने का विचार छोड़ दिया था और पुनः अपने देश लौट गया था। यह सेना प्रामाणिक तौर पर प्राचीन विश्व इतिहास की सबसे विशाल सेना मानी जाती है।
यह तो सिर्फ एक राज्य मगध की सेना थी, अगर समस्त भारतीय राज्यों की सेनाएं को मिलाकर देखें, तो संख्याबल में एक बहुत विशाल सेना बन जायेगी।
अतः महाभारत काल में जब भारत बहुत समृद्ध देश था, इतनी विशाल सेना का होना कोई आश्चर्य की बात नहीं, जिसमें की सम्पूर्ण भारत देश के साथ साथ अनेक अन्य विदेशी जनपदों ने भी भाग लिया था.

No comments:

Post a Comment