लंदन। वैसे तो हम सब अंग्रेजी हुकूमत की जुल्मो-सितम के अनगिनत दास्तां से वाकिफ हैं। अब लंदन में हुई एक परिचर्चा में भी माना गया कि ब्रिटिश राज में भारत को लाभ से ज्यादा नुकसान हुआ। परिचर्चा के दौरान ब्रिटेन के छद्म सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई में निष्कर्ष निकाला गया कि जिस ब्रिटिश राज में सूर्य कभी अस्त नहीं होता था, दरअसल उसकी बुनियाद भारत की बर्बादी पर ही खड़ी हुई थी। भारत को बर्बाद करके ही ब्रिटेन दुनिया में अपराजेय और शक्तिशाली बना था।
मुगल सम्राट जहांगीर के शासन काल के दौरान सन 1614 में अंग्रेजों के भारत पहुंचने के 400वीं वर्षगांठ के मौके पर इंडो-ब्रिटिश हेरिटेज ट्रस्ट ने छद्म सुप्रीम कोर्ट गठित कर इस परिचर्चा का आयोजन किया था। इसमें "ब्रिटिश उपनिवेश के अनुभवों से भारतीय उपमहाद्वीप को नुकसान से ज्यादा लाभ हुआ।" विषय पर पेश प्रस्ताव पर चर्चा हुई। कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री शशि थरूर के साथ ब्रिटिश लेखक विलियम डेलरिंपल और निक राबिंस ने इस प्रस्ताव का विरोध किया। छद्म सुप्रीम कोर्ट ने भी इन विद्वानों की राय के पक्ष में फैसला सुनाया।
प्रस्ताव के विरोध में चर्चा की शुरुआत करते हुए थरूर ने कहा, "यह सही है कि अंग्रेजों के राज में सूरज कभी अस्त नहीं होता था, लेकिन यह भी सच है कि शक्तिशाली ब्रिटिश साम्राज्य की बुनियाद भारत की बर्बादी से ही खड़ी हुई।" "ह्वाइट मुगल्स" और "द लास्ट मुगल" के लेखक विलियम ने भी थरूर की बात का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि ईस्ट इंडिया कंपनी ने तोपखाने की ताकत के बूते हिंदुस्तान का पैसा लूट कर यूरोप पहुंचाया, जिससे ब्रिटेन धनी और ताकतवर बना।
परिचर्चा की अध्यक्षता भारतीय मूल के ब्रिटिश सांसद कीथ वाज ने की। प्रस्ताव के समर्थन में न्यूजवीक की आर्ट एडिटर नीलोफर बख्तियार, पूर्व पत्रकार मार्टिन बेल और कंजरवेटिव सांसद क्वासी क्वारतेंग ने अपने विचार व्यक्त किए। ध्यान रहे कि 400 वर्ष पूर्व सन 1614 में ब्रिटेन के सम्राट किंग जेम्स एक ने सर थामस रो को अपना राजदूत नियुक्त कर मुगल सम्राट जहांगीर के दरबार में भेजा था। सर थामस को ईस्ट इंडिया कंपनी की ओर से व्यापार करने की अनुमति मुगल सम्राट से हासिल करने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। परिचर्चा का आयोजन इसी मौके को याद करने के लिए किया गया था।
"भारत को तबाह कर 18वीं और 19वीं सदी में ब्रिटेन अपराजेय बना। ईस्ट इंडिया कंपनी के कारण उस दौर में वैश्विक अर्थव्यवस्था में हिंदुस्तान की हिस्सेदारी 23 से घटकर 4 फीसद हो गई थी।"
-शशि थरूर, कांग्रेस नेता
"मुगल काल में भारत इतना धनी था कि लंदन, पेरिस, मैड्रिड, रोम, मिलान भी एक साथ मिलकर उसकी समृद्धि के मुकाबले में कहीं खड़े नहीं थे। अंग्रेज इसी लालच में हिंदुस्तान आए थे।"
No comments:
Post a Comment