मगध उन १६ महाजनपदों (अर्थ : महान देश) में से एक है जिसने प्राचीन भारत की रचना की थी. इसका मुख्या हिस्सा वर्तमान के बिहार (खासकर गंगा नदी के दक्षिण) था. इसकी प्रारंभिक राजधानी राजगाह (वर्तमान: राजगीर) एवं बाद में पाटलिपुत्र (वर्तमान में पटना) हुई. मगध सामराज्य का विस्तार बाद में संपूर्ण बिहार एवं बंगाल तथा पूर्वी उत्तरप्रदेश तक हुआ. प्राचीन मगध साम्राज्य का वर्णन रामायण, महाभारत तथा पुराणों में भी मिलता है. इसके अलावा इसका वर्णन बौध और जैन धर्मग्रंथो में भी मिलता है. मगध का प्रारम्भिक वर्णन अथर्व-वेदा में मिलता है. दो प्रमुख धर्मो की स्थापना यहाँ से हुई जिनमे बौध धर्मं भी शामिल है. इसके अलावा भारत के दो महान साम्राज्यों, मगध सामराज्य और गुप्त सामराज्य, का भी उद्भव यही से हुआहैः। बिम्बिसार तथा अजातशत्रु इसके प्रमुख शासक थें।. महाभारत और पुराणों के अनुसार मगध के प्रथम वंश की स्थापना बृहद्रथ ने की थी, जो कि जरासन्ध का पिता और वसु का पुत्र था। अनुमानत: इस वंश ने मगध पर १००० वर्श राज्य किया। पुरणों के अनुसार इसके पश्चात् शिशुनाग ने शैशुनाग वंश की स्थापना की, किन्तु अश्वघोष, जो कि पुराणों से भी प्राचीन लेखक हैं, ने हर्यक वंश के बारे में लिखा है। हर्यक वंश के बारे में ज्यादा जानकारी तो नहीं प्राप्त है पर बिम्बिसार, अजातशत्रु को इस वंश का प्रमुख शासक बताया गया है।
मगध प्रमंडल मे ५ जिले स्थित है। ये निम्नलिखित है
मगध प्रमंडल मे ५ जिले स्थित है। ये निम्नलिखित है
(१) गया
(२) औरंगाबाद
(३) नबादा
(४) जहानाबाद
(५) अरवल
कभी पूरे भारत वर्ष का राजनैतिक , आर्थिक , सामाजिक एवं धार्मिक पथ-परदर्शक रहा मगध आज विषमताओं के अनैतिक जंजाल में फँसकर अपनी ऐतिहासिक माहत्ता को खो रहा ही है साथ ही साथ इस क्षेत्र में व्याप्त अशिक्षा , गरीबी , बेरोजगारी एवं विभीन्न प्रकार की समस्यायें इसके गौरवमयी अतीत को कलंकित करने को काफी हैं तो आयें हम संकल्प लें कि हम मगध की धरती को पुनः उसके पौराणिक महत्ता को वापस दिलाने का हर संभव प्रयास कारेंगे।
(२) औरंगाबाद
(३) नबादा
(४) जहानाबाद
(५) अरवल
कभी पूरे भारत वर्ष का राजनैतिक , आर्थिक , सामाजिक एवं धार्मिक पथ-परदर्शक रहा मगध आज विषमताओं के अनैतिक जंजाल में फँसकर अपनी ऐतिहासिक माहत्ता को खो रहा ही है साथ ही साथ इस क्षेत्र में व्याप्त अशिक्षा , गरीबी , बेरोजगारी एवं विभीन्न प्रकार की समस्यायें इसके गौरवमयी अतीत को कलंकित करने को काफी हैं तो आयें हम संकल्प लें कि हम मगध की धरती को पुनः उसके पौराणिक महत्ता को वापस दिलाने का हर संभव प्रयास कारेंगे।
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