हमारे लंबे इतिहास में भारत ने कभी किसी देश पर हमला नहीं किया। हम पर कई हमले हुए। बाहर से लोग आए और उनमें से कई यहां आकर बस गए। वे अच्छे भारतीय साबित हुए। वे आजादी की लड़ाई में हमारे साथ मिलकर लड़े। आजादी के बाद जब भारत पर हमला हुआ तो उन सब ने भारतीय लोगों के साथ एकजुटता दिखाई। वे एक दीवार की तरह खड़े हो गए और चुनौतियों का सामना किया। इस वक्त की सबसे बड़ी जरूरत लोगों के दिलो-दिमाग में वही एकजुटता की भावना फिर से जीवित करने की है। यह सिर्फ इंदिरा गांधी के हाथ मजबूत करने की बात नहीं है। इसके मायने हैं भारत में रहने वाले करोड़ों लोगों के हाथ मजबूत करना।
पुरुष और महिलाओं, बूढ़े और जवान, अनुसूचित जाति और जनजाति, बेशक इसमें पिछड़े वर्गों के लोग भी शामिल हैं, हर वह व्यक्ति जो भारत में रहता है, उसे मजबूत किया जाना चाहिए। उनमें हिम्मत होनी चाहिए और उनमें ताकत होनी चाहिए, जो देश को विकास के रास्ते पर आगे ले जाएंगे। हम सबको कड़ी मेहनत करनी चाहिए। सवाल सिर्फ जिस्मानी मेहनत का नहीं है, इसका रिश्ता दिमाग से भी है। नए विचार लाए जाने चाहिए ताकि विज्ञान के युग में भारत तरक्की कर सके।
मैं जब भी वैज्ञानिकों से मिलती हूं तो उन्हें एक ही बात कहती हूं, ‘ऐसा कुछ कीजिए जो पूरे देश के काम का हो।’ किंतु यदि इसके साथ वैज्ञानिक सोच नहीं विकसित की, हम अंधविश्वास के कैदी बने रहे, आपस में झगड़ते रहे, सांप्रदायिकता को बर्दाश्त करते रहे और इसके खिलाफ नहीं लड़े, यदि हमने जातिवाद व क्षेत्रवाद को बढऩे दिया या हम भाषा के नाम पर लडऩा शुरू कर दें तो हम देश की एकता को कैसे सुरक्षित रख पाएंगे? यदि एकता नहीं कायम रखी तो हम अपनी आजादी कैसे बचा पाएंगे? यह न सोचें कि हमने एक बार आजादी हासिल कर ली है तो आने वाले समय में हमेशा के लिए आजादी बरकरार रहेगी। आजादी के लिए हमेशा जागरूक बने रहना, इसकी कीमत है। हमें इस बारे में सोचना होगा और हर दिन इस दिशा में कुछ करके भी दिखाना होगा।
असली काम इसी बिंदु से शुरू हुआ। कांग्रेस ने दो चीजें कीं। पहला तो यह कि लोकतंत्र को बढ़ावा देना चाहिए, क्योंकि जब तक हर आदमी की बात नहीं सुनी जाएगी, आजादी पूरी नहीं मानी जाएगी। दूसरा यह कि कांग्रेस ने समाजवाद का रास्ता अपनाया। आर्थिक समानता और सबके लिए समान अवसरों के बिना भी आजादी पूरी नहीं होती। समाज में बहुत 'यादा असमानता होगी, अमीर व गरीब में फासला बढ़ेगा तो तनाव बढ़ेगा और आपस में झगड़े बढ़ेंगे। शांति नहीं होगी तो आजादी कायम नहीं रहेगी और विकास के काम नहीं किए जा सकेंगे।
कई अमीर देश भी अपने यहां से बेरोजगारी पूरी तरह खत्म करने में नाकामयाब रहे या बढ़ती कीमतों को नहीं रोक पाए। हाल के वर्षों में दोनों ही समस्याएं बढ़ी हैं। ये नई चुनौतियां हैं। बेरोजगारी कैसे दूर होगी और महंगाई कैसे काबू में आएगी? जब हम उत्पादन बढ़ाएंगे तो लोगों को रोजगार के मौके मिलेंगे।
भारत के लोगों को पहले भारत के बारे में सोचना चाहिए। हम चाहे किसी धर्म, जाति या वंश के हों, लेकिन राष्ट्रीयता सबसे बड़ी बात है। देश के लिए हमारा प्यार हर चीज से बढ़कर होना चाहिए, लेकिन आज कुछ लोग सोचते हैं कि उन्हें ऐसे आंदोलनों को समर्थन देना चाहिए, जो चुनाव में उन्हें वोट दिलाएं। पर उड़ीसा के लोगों को और अलग-अलग रा'यों में रहने वाले लोगों को, सारे देश के लोगों को ही समझना चाहिए कि ऐसे आंदोलन हमारे देश के लिए 'यादा बड़ा खतरा हैं।
मेरे पिताजी कहा करते थे कि आजादी को बांटा नहीं जा सकता। इसी तरह तरक्की को भी बांटा नहीं जा सकता, विकास को बांटा नहीं जा सकता। यह सबके लिए होती है। दुनिया में कई देश विज्ञान का विकास करके खुशहाल हो गए और वे संपत्ति भी बढ़ा रहे हैं और इसका उपयोग अपने यहां जीवनस्तर बढ़ाने में कर रहे हैं। वे बहुत ताकतवर हैं और अन्य देशों को भी प्रभावित करना चाहते हैं। यह पुराने दिनों के तरह की गुलामी नहीं है। उसमें साम्रा'यवादी ताकतें अपनी सेना भेजकर देश पर कब्जा कर लेती थीं। अब नए तरीके में वे अपने विचारों से लोगों पर प्रभावित करना चाहते हैं। वे लोगों का मनोबल तोडऩे की कोशिश करते हैं। यदि कमजोर देश कुछ अ'छा करके भी दिखाते हैं तो ये जताते हैं कि इन कम विकसित देशों ने कुछ हासिल नहीं किया है। मुझे बहुत थोड़े वक्त के लिए इमरजेंसी लगानी पड़ी थी, लेकिन इसके लिए आज तक मेरी आलोचना होती है। मुझे तानाशाह बताया जाता है। कोई बाहरी व्यक्ति हमारे हितों की रक्षा नहीं करेगा, हमारे बारे में नहीं सोचेगा। हमें अपना ख्याल खुद रखना होगा। यह सिर्फ मेरी ही जिम्मेदारी नहीं है।
मैं आज हूं, हो सकता है कल न रहूं। पर देश के हितों का ख्याल रखने की जिम्मेदारी देश के हर नागरिक के कंधों पर है। मैंने यह पहले भी कहा है। न जाने कितनी बार मुझे गोली मारने की कोशिश हुई है। मुझ पर लाठियों के वार किए गए। यहां भुवनेश्वर में ही मुझे ईंट का टुकड़ा आ लगा था। मुझपर हर तरह के हमले हुए हैं। मैं जीऊं या मरूं इसकी मुझे परवाह नहीं है। मैंने लंबी जिंदगी जी है और मुझे गर्व है कि मैंने अपनी पूरी जिंदगी लोगों की सेवा में लगाई है। मुझे सिर्फ इसी बात का गर्व है और किसी बात का नहीं। मैं आखिरी सांस तक सेवा करती रहूंगी और जब मौत आएगी तो मेरे खून का कतरा-कतरा भारत के काम आएगा।
मुझे पूरा भरोसा है कि देश के आम लोग कभी गलत रास्ते पर नहीं जाएंगे। दुनिया के लोग यह जानते हैं। कई संस्कृतियां व सभ्यताएं गायब हो गईं, लेकिन जैसा कि शायर इकबाल ने एक बार कहा था कि कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी। इसका मतलब हमारे अंदर ही वह ताकत है, जिसके कारण हमारा वजूद बना हुआ है। यह ताकत हर किसी में है, लेकिन इसे विकसित होने का मौका देना होगा। यदि ऐसा नहीं किया तो आप हताश हो जाओगे। तब भीतरी ताकत नकारात्मक काम करेगी।
आपने मुझे बहुत धीरज से सुना है। मैं फिर दोहराऊंगी कि आपको सबसे ज्यादा अहमियत देश की एकता और अखंडता को देनी है। इसके बाद बाकी सब बातें हैं। हमें आज की चुनौतियों का इस तरह से सामना करना है कि हम और मजबूत होकर उभरें और हमारी ताकत लगातार बढ़ती रहे। यदि थोड़े वक्त के लिए हमें कोई चीज मिलती है और यदि कल यह हमें कमजोर बनाती है तो ऐसी चीज हासिल करने लायक नहीं है। जय हिंद।
((यह भाषण 30 अक्टूबर 1984 को भुवनेश्वर में दिया गया था।)
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