इंदिरा गांधी
बीबीएसआर परेड ग्राउंड, भुवनेश्वर (ओडिशा)
30 अक्टूबर, 1984
देश की पूर्व प्रधानमंत्री और राहुल गांधी की दादी इंदिरा गांधी ने भी अपनी मौत से पहले ओड़िशा की एक सभा में कहा था, 'मैं रहूं न रहूं लेकिन मेरे खून का एक-एक कतरा इस देश के काम आएगा। इस देश को मजबूती देगा।'
असर
इंदिरा गांधी की हत्या के बाद 1985 में हुए आम चुनाव में देशभर में उनके अंतिम भाषण के तौर पर ऑडियो कैसेट के जरिये इस बात को सुनाया गया। इससे कांग्रेस के प्रति सहानुभूति की लहर पैदा हो गई और कांग्रेस ने भारी सफलता प्राप्त की थी।
अटल बिहारी वाजपेयी
मई, 1996
लोकसभा, नई दिल्ली
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में बीजेपी ने 1996 में पहली बार केंद्र में सरकार बनाई थी। लेकिन बहुमत न जुटा पाने की वजह से 13 दिनों में यह सरकार एक वोट से गिर गई थी। प्रधानमंत्री के तौर पर अपने 13 दिनों के पहले कार्यकाल के बाद इस्तीफा राष्ट्रपति को सौंपने से पहले अटल बिहारी वाजपेयी ने लोकसभा में कहा था, 'हमारा क्या अपराध है। हमें क्यों कठघरे में खड़ा किया जा रहा है? यह जनादेश ऐसे ही नहीं मिला है। इसके पीछे वर्षों की संघर्ष है, साधना है। एक-एक सीटों वाली पार्टियां कुकुरमुत्ते की तरह उग आती हैं। राज्यों में आपस में लड़ती हैं, दिल्ली में आकर एक हो जाती हैं। हम देश की सेवा के कार्य में जुटे रहेंगे। हम आपको विश्वास दिलाते हैं कि जो कार्य हमने अपने हाथों में लिया है, उसे पूरा किए बिना विश्राम नहीं करेंगे। अध्यक्ष महोदय, मैं अपना त्यागपत्र राष्ट्रपति को देने जा रहा हूं।'
असर
बतौर प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के इस जज्बाती भाषण का दूरगामी असर हुआ। इसके बाद अटल बिहारी वाजपेयी 1998 और 1999 में प्रधानमंत्री बने।
लाल बहादुर शास्त्री
1965
जवाहरलाल नेहरू के निधन के बाद देश के प्रधानमंत्री बने लाल बहादुर शास्त्री ने 1965 में पाकिस्तान युद्ध के समय एक जनसभा में 'जय जवान, जय किसान' का नारा दिया था। उन्होंने अनाज के संकट से जूझ रहे देश से हफ्ते में एक दिन उपवास रखने का निवेदन किया था। शास्त्री खुद भी एक दिन उपवास रखते थे।
असर
शास्त्री का नारा बहुत मशहूर हुआ और आज भी लोग इसे दोहराते हैं। भारत ने तमाम मुश्किलों के बावजूद खाद्यान्न संकट का भी सामना किया और 1965 में पाकिस्तान को परास्त भी किया।
जवाहरलाल नेहरू
14 अगस्त, 1947
नई दिल्ली
भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने भारतीय संविधान सभा को संबोधित करते हुए कहा था, 'आधी रात के समय जब दुनिया सो रही होगी, भारत आज़ादी और नए जीवन के लिए जगेगा। वक्त आता है, इतिहास में ऐसे मौके कम आते हैं जब हम पुराने को छोड़कर नए दौर में जाते हैं, जब युग का अंत होता है और जब लंबे समय से दबी कुचली देश की आत्मा को आवाज मिलती है।'
असर
यह भाषण कई मायनों में ऐतिहासिक माना जाता है। प्रधानमंत्री के तौर पर चीन युद्ध से पहले नेहरू को जबर्दस्त लोकप्रियता हासिल हुई थी।
सोनिया गांधी
2007
गुजरात
कांग्रेस की अध्यक्ष और राहुल गांधी की मां सोनिया गांधी ने 2007 के गुजरात विधानसभा चुनावों के दौरान एक चुनावी सभा में 2002 के गुजरात दंगों के सिलसिले में वहां के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को ‘मौत का सौदागर बता डाला था।’
असर
सोनिया गांधी के इस भाषण का कांग्रेस को कोई खास फायदा नहीं हुआ और उलटे मोदी न 2007 विधानसभा चुनाव में शानदार जीत दर्ज की। शायद इस नाकामी की वजह से 2012 के गुजरात चुनावों में कांग्रेस ने दंगों या सांप्रदायिक मुद्दों पर ज्यादा बात नहीं की क्योंकि पार्टी को शायद डर था कि इससे वोटों का ध्रुवीकरण होता है।
नरेंद्र मोदी
जुलाई, 2012
गांधीनगर, गुजरात
गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल एक इंटरव्यू में वर्ष 2002 में हुए गोधरा दंगों को लेकर माफी मांगने से इनकार किया था। एक इंटरव्यू में मोदी ने कहा था, ‘अगर मैं गोधरा दंगों का दोषी हूं तो मुझे फांसी पर लटका दो। 2004 में मैंने कहा था कि मैं क्यों माफी मांगू। अगर मेरी सरकार ने ऐसा किया है तो मुझे सार्वजनिक तौर पर फांसी पर लटका दिया जाए। ताकि अगले 100 वर्षों तक कोई ऐसा करने का साहस न कर सके।’
असर
नरेंद्र मोदी ने इस बयान के कुछ महीनों बाद लगातार तीसरी बार गुजरात विधानसभा चुनाव में जीत हासिल की और चौथी बार राज्य के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली।
राजीव गांधी
1990
खेड़ली (अलवर)
देश के पूर्व प्रधानमंत्री और राहुल गांधी के पिता राजीव गांधी ने कहा था, 'केंद्र सरकार जनता के लिए एक रुपया भेजती है लेकिन उसके पास सिर्फ 15 पैसे पहुंचते हैं। 85 पैसे बीच में कोई खा जाता है।'
असर
बोफोर्स दलाली केस के आरोपों से घिरे राजीव गांधी की इन बातों का अच्छा असर हुआ और उनकी पार्टी 1991 में सत्ता में वापसी करने में कामयाब हुई।
राहुल गांधी
जयपुर, जनवरी 2013
कांग्रेस के चिंतन महाकुंभ में उपाध्यक्ष पद पर हुई ताजपोशी के दिन राहुल गांधी ने पहले भाषण में कहा था, 'पिछली रात मां (सोनिया गांधी) मेरे कमरे में आईं और मेरे कंधे पर हाथ रखकर कहा कि सत्ता जहर होती है और इसके बाद वह रोने लगीं।'
असर
राहुल गांधी के इस भावुक भाषण पर भी बिड़ला सभागार में सोनिया गांधी अपनी आंखें पोंछती नजर आईं। सैम पित्रोदा, शीला दीक्षित सहित कई वरिष्ठ नेताओं की भी आंखें भीग आईं। इसने मीडिया में सुर्खियां बटोरीं, चर्चा भी हुई
इंदिरा गांधी
1971
इंदिरा गांधी ने 1971 के आम चुनावों में अपने विरोधियों को चौंकाते हुए इंदिरा हटाओ के नारों के जवाब में एक जनसभा में कहा था, 'वे कहते हैं इंदिरा हटाओ। मैं कहती हूं गरीबी हटाओ।'
असर
इंदिरा गांधी की अगुवाई में उनकी पार्टी ने 1971 के आम चुनावों में शानदार जीत दर्ज कर केंद्र में सरकार बनाई थी।
जयप्रकाश नारायण
5 जून, 1974
गांधी मैदान, पटना
जयप्रकाश नारायण ने पटना के गांधी मैदान में एक विशाल जनसभा को संबोधित करते हुए कहा था, 'यह क्रांति है, दोस्तो। हम यहां सिर्फ विधानसभा भंग कराने नहीं आए हैं। यह हमारे रास्ते का सिर्फ एक पत्थर भर है। हमें बहुत आगे जाना है। आज़ादी के 27 सालों बाद भी इस देश के लोग भूख, महंगाई, भ्रष्टाचार और नाइंसाफी से तंग हैं। हमें संपूर्ण व्यवस्था बदलनी होगी। इसके लिए संपूर्ण क्रांति चाहिए। इससे कम कुछ भी नहीं।'
असर
जयप्रकाश नारायण के आंदोलनों से घबराकर इंदिरा गांधी की सरकार ने 1975 में देश में आपातकाल लगा दिया था। लेकिन 1977 में इंदिरा को आपातकाल हटाना पड़ा और आम चुनावों में उनकी करारी हार हुई
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