तिहाड़ से फरार होने वाले ज्यादातर कैदी वे हैं जो सुनवाई पर लाते, ले-जाते वक्त यहां से फरार हुए. ऐसे लोग, जो जावेद की तरह तिहाड़ तोड़कर यहां से भागे, बेहद कम हैं और उनके किस्से बेहद दिलचस्प हैं.
1958 में बनी दिल्ली की तिहाड़ जेल को देश की सबसे सुरक्षित जेलों में से एक माना जाता है. इस जेल के लगभग 60 साल के इतिहास में ऐसे गिने-चुने ही मामले हैं जब कुछ कैदी यहां से भागने में सफल हुए हों. यही कारण है कि बीते रविवार जब दो कैदियों के यहां से फरार होने की खबर आई तो यह सारे देश में सुर्खियां बन गई.
फैजान और जावेद नाम के ये दो कैदी पिछले कुछ समय से तिहाड़ जेल में कैद थे. इन पर चोरी और डकैती जैसे आरोपों में मामले दर्ज हैं जिनकी सुनवाई अभी पूरी नहीं हो सकी है. बीते शनिवार की रात को ये दोनों कैदी 13-13 फुट की दो दीवारें फांदकर और लगभग दस फुट की एक सुरंग खोदकर तिहाड़ जेल से फरार होने में कामयाब हो गए. जेल अधिकारियों को इनके फरार होने की खबर अगले दिन यानी रविवार को सुबह तब मिली जब कैदियों की हाजिरी हुई. जेल अधिकारियों ने इनकी खोज शुरू की तो तिहाड़ परिसर में उन्हें एक सुरंग खुदी मिली जहां से फैजान और जावेद फरार हुए थे. फैजान एक सीवर लाइन में फंस जाने के कारण तुरंत ही पकड़ लिया गया लेकिन जावेद तिहाड़ से भाग निकलने में कामयाब हो गया.
जेल अधिकारियों को इनके फरार होने की खबर अगले दिन यानी रविवार को सुबह तब मिली जब कैदियों की हाजिरी हुई.
तिहाड़ से फरार होने में कुछ कैदी पहले भी कामयाब रहे हैं. लेकिन इनमें ज्यादातर वे लोग शामिल हैं जो सुनवाई पर लाते ले-जाते वक्त कहीं बाहर से फरार हुए. ऐसे लोग जो जावेद की तरह तिहाड़ परिसर के भीतर रहते हुए भी फरार हो गए, बेहद कम हैं और उनके किस्से बेहद दिलचस्प हैं.
डेनियल हेली वालकॉट
ऐसे नामों में सबसे पहला नाम डेनियल हेली वालकॉट का है. वालकॉट एक अंतरराष्ट्रीय तस्कर था और मूल रूप से अमरीका का रहने वाला था. 1960 के दशक की शुरुआत में वालकॉट एक निजी विमान से दिल्ली पहुंचा. यहां उसे हथियारों की तस्करी के आरोप में गिरफ्तार किया गया और तिहाड़ जेल भेज दिया गया. उसका विमान भी भारतीय अधिकारियों ने जब्त करके सफदरजंग एयरपोर्ट पर अपने कब्जे में रख लिया था. तिहाड़ में रहते हुए वालकॉट को कुछ शर्तों के साथ जमानत भी मिली. इस दौरान वह सफदरजंग जाकर अपने विमान का निरीक्षण भी किया करता था.
एक दिन वालकॉट जेल अधिकारियों को चकमा देकर भाग निकला. तिहाड़ से वह सीधे सफदरजंग एयरपोर्ट पहुंचा और अपना विमान लेकर देश से ही बाहर चला गया. जब तक सम्बंधित अधिकारी भारतीय वायु सेना को इस पूरी घटना की जानकारी दे पाते, तब तक वालकॉट भारतीय सीमाओं के पार कर चुका था. एक अंग्रेजी अखबार की रिपोर्ट के अनुसार वालकॉट ने सफदरजंग से उड़ान भरने के बाद तिहाड़ परिसर के ऊपर चक्कर लगाए और अपने कैदी साथियों के लिए सिगरेट और चॉकलेट के पैकेट भी फेंके.
वालकॉट ने सफदरजंग से उड़ान भरने के बाद तिहाड़ परिसर के ऊपर चक्कर लगाए और अपने कैदी साथियों के लिए सिगरेट और चॉकलेट के पैकेट भी फेंके.
वालकॉट से जुडी एक दिलचस्प जानकारी और भी है. तिहाड़ से फरार होने और भारत छोड़ने के कुछ साल बाद वह दोबारा भारत आया था. बताते हैं कि उसने मुंबई में तस्करी का कुछ सोना छिपा कर रखा था. इसे ही लेने वह नाम बदल कर भारत आया था. भारतीय अधिकारियों को जब उस पर शक हुआ और उसके फिंगर प्रिंट्स लिए गए तो पता चला कि वह तो फरार अंतरराष्ट्रीय तस्कर वालकॉट है. इसके बाद उसे गिरफ्तार करके दोबारा जेल भेज दिया गया.
चार्ल्स शोभराज
तिहाड़ से भागने वालों में दूसरा बड़ा नाम भी एक विदेशी का ही है. यह नाम है चार्ल्स शोभराज. बिकिनी किलर के नाम से जाने जाने वाले शोभराज पर थाईलैंड, नेपाल और भारत में कुल दर्जन भर से भी ज्यादा हत्याओं के आरोप थे. उसे 1976 में गिरफ्तार कर तिहाड़ जेल भेज दिया गया था. यहां दस साल रहने के बाद चार्ल्स शोभराज 1986 में यहां से फरार हुआ.
16 मार्च 1986 को रविवार का दिन था. शोभराज ने तिहाड़ के अधिकारियों को बताया कि आज उसका जन्मदिन है और वह सभी लोगों को मिठाइयां बंटवाना चाहता है. उसने बाजार से कुछ मिठाई मंगवाई और उनमें नशे की दवा मिला दी. सभी सुरक्षाकर्मी जब यह नशीली मिठाई खाकर बेहोश हो गए तो शोभराज ने चाबियां उठाई और जेल के दरवाजे खोल कर फरार हो गया.
उसने बाजार से कुछ मिठाई मंगवाई और उनमें नशे की दवा मिला दी. सभी सुरक्षाकर्मी जब यह नशीली मिठाई खाकर बेहोश हो गए तो शोभराज ने चाबियां उठाई और जेल के दरवाजे खोल कर फरार हो गया.
फरार होने के तीन हफ्ते बाद ही शोभराज को गोवा से गिरफ्तार भी कर लिया गया था. शोभराज को भारत में 12 साल की सजा हुई थी. जिस समय वह तिहाड़ से भागा उस समय तक वह इसमें से दस साल की सजा काट चुका था. केवल 2 साल की सजा बाकी रहने पर भी चार्ल्स शोबराज अगर तिहाड़ से भागा तो कहा जाता है कि इसके पीछे उसकी एक सोची-समझी रणनीति थी. उसे डर था कि तिहाड़ से रिहा होने के बाद उसे थाईलैंड भेज दिया जाएगा. दरअसल 1977 में थाईलैंड ने शोभराज की गिरफ्तारी का वारंट जारी किया था जिसकी वैधता 20 साल थी. वहां उस पर लगे आरोपों के लिए उसे मौत की सजा होना लगभग तय था. इसीलिए वह तिहाड़ से फरार हुआ जिसके बाद उसे यहां 10 साल और रहना पड़ा. जब 1997 में वह तिहाड़ से रिहा हुआ, तब तक थाइलैंड के गिरफ्तारी वारंट की समय सीमा समाप्त हो चुकी थी.
तिहाड़ से रिहाई के बाद शोभराज को फ्रांस भेज दिया गया था. वह कई साल तक वहीँ रहा लेकिन 2003 में अचानक नेपाल चला गया. नेपाल में पहले से ही उसके खिलाफ कई मामले लंबित थे. यहां शोभराज को पकड़ लिया गया और अदालत ने उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई. वह आज भी यहीं जेल में कैद है. जेल में रहते हुए ही चार्ल्स शोभराज ने अपने से 44 साल छोटी निहिता विश्वास से शादी कर ली जो बाद में भारतीय रियेलिटी शो बिग बॉस में भी कुछ समय के लिए नजर आई. चार्ल्स शोभराज अभी भी नेपाल में ही कैद है. यह कोई नहीं जानता कि जब वह फ़्रांस में आराम से रह रहा था तो नेपाल क्यों गया जहां की पुलिस उसे ढूंढ़ रही थी.
शेर सिंह राणा
इन दो विदेशियों के अलावा तिहाड़ से फरार होने वालों में जो भारतीय नाम है, वह है शेर सिंह राणा का. राणा के तिहाड़ से फरार होने का किस्सा बाकियों से कुछ कम दिलचस्प नहीं है. शेर सिंह राणा ने 2001 में ‘बैंडिट क्वीन’ फूलन देवी की हत्या की थी. इसी आरोप में उसे तिहाड़ जेल में रखा गया था. राणा के कुछ मामलों की सुनवाई उत्तराखंड में भी चल रही थी. 17 फरवरी 2004 को ऐसी ही एक सुनवाई के लिए राणा को हरिद्वार ले जाया जाना था. इस दिन सुबह लगभग छह बजे कुछ लोग पुलिस की वर्दी पहने हुए तिहाड़ जेल पहुंचे. उन्होंने राणा को पेशी पर ले जाने संबंधी कागज़ात तिहाड़ अधिकारियों को सौंप दिए. बदले में तिहाड़ अधिकारियों ने खाना खिलाने के लिए 40 रूपये देकर शेर सिंह राणा को पुलिस की वर्दी पहने इन लोगों के हवाले कर दिया. राणा को लेकर ये लोग निकले ही थे कि उत्तराखंड पुलिस के जवान तिहाड़ जेल पहुंच गए. जब उन्होंने बताया कि वे शेर सिंह राणा को लेने आये हैं तो तिहाड़ अधिकारीयों के होश उड़ गए. पुलिसकर्मी बनकर आए अपने साथियों के साथ राणा तिहाड जेल से फरार हो चुका था.
2006 में राणा को कोलकाता से दोबारा गिरफ्तार कर लिया गया था. पिछले साल ही उसे फूलन देवी की हत्या के आरोप में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है. संयोग से अपनी यह सजा वह तिहाड़ जेल में ही काट रहा है