Tuesday, 17 February 2015

'गिब्स तुमने कैच नहीं कप गिराया है..'

थिंकस्टॉक इमेज
क्रिकेट में विवादों की काफ़ी गुंजाइश रही है, कभी अंपायर की भूमिका पर सवाल उठे तो कभी रंगभेदी टिप्पणी, कभी बॉडी लाइन का तूफ़ान तो कभी लिली का स्टीलबैट लाकर क्रिकेट नियमों को चुनौती देना और मियाँदाद का लिली की टिप्पणी के जवाब में बैट लेकर उन पर दौड़ना..
कभी बॉल टैंपरिंग का मुद्दा उठता है कभी स्पॉट फ़िक्सिंग के आरोप लगते हैं. बात बढ़ती है तो किसी खिलाड़ी पर प्रतिबंध भी लगा दिया जाता है. यह सब हिस्सा रहा है क्रिकेट का.
क्रिकेट विश्व कप में भी ऐसे कई विवाद नज़र आते हैं जिनमें कुछ बड़े रोचक हैं और कुछ दुखदायक.

पढ़ें विस्तार से

गावस्कर की पारी

सुनील गावस्कर
1975 के विश्व कप में इंग्लैंड के 335 रन के लक्ष्य का पीछा करने उतरी भारतीय टीम की सुस्त शुरुआत को दर्शकों ने समझा कि सुनील गावस्कर गेंद की चमक ख़त्म करना चाहते हैं, लेकिन जब उनकी वही रफ़्तार बनी रही तो दर्शकों में बेचैनी बढ़ने लगी.
भारत के समर्थकों की चीख़-पुकार जारी रही और भारतीय खिलाड़ियों के चेहरे पर खीज देखी जा सकती थी. हर कोई फ़ील्ड में जाकर ठीक से मैच खेलने का आग्रह कर रहा था और पुलिस उन्हें रोक रही थी.
गावस्कर ने उस मैच में 60 ओवर में नाबाद 36 रन बनाए थे और भारत तीन विकेट के नुक़सान पर 132 रन बनाकर 202 रनों से हार गया. गावस्कर की पारी विवाद में रही. कई बातें सामने आई. कहा गया कि गावस्कर को टीम को लेकर परेशानी थी.
गावस्कर ने तब कुछ नहीं कहा. बहुत बाद में माना कि वह उनकी सबसे ख़राब पारी थी और यह भी कि उनका फ़ॉर्म ख़राब चल रहा था और फ़ॉर्म में वापसी के लिए वह ऐसा ही करते थे.

लॉयड ने कैच छोड़ा

क्लाइव लॉयड (फ़ाइल फोटो)
कहा जाता है कि कैच पकड़ो और मैच जीतो लेकिन दूसरे विश्व कप में फ़ाइनल में कुछ अलग ही बात हुई. लॉयड ने मैच जीतने के लिए कैच छोड़ा.
वेस्टइंडीज़ ने इंग्लैंड के सामने 293 रनों का लक्ष्य रखा था. इंग्लैंड ने जवाब में धीमी शुरुआत की और बॉयकॉट ने दोहरे अंक तक पहुंचने के लिए 17 ओवर ले लिए.
एक बार वह रिचर्ड्स की गेंद को मारने के लिए बाहर निकले तो ग़लत शॉट खेल गए और कप्तान लॉयड ने उस आसान से कैच को छोड़ दिया.
उससे पहले, दूसरी तरफ़ खेल रहे ब्रियरली का कैच भी वह छोड़ चुके थे. रिचर्ड्स को लॉयड ने जब बताया कि उन्होंने जान-बूझकर कैच छोड़ा था तब उन्हें चैन मिला.

अंपायरिंग का कसूर

फ़ाइल फोटो
ये पहले विश्व कप की बात है. मैच था पाकिस्तान और वेस्टइंडीज़ के बीच, पाकिस्तान ने सात विकेट के नुक़सान पर 266 रन बनाए थे.
जब वेस्टइंडीज़ की पारी शुरू हुई तो सरफ़राज़ नवाज़ की तूफ़ानी गेंदबाज़ी के सामने वेस्टइंडीज़ का कोई खिलाड़ी जमकर नहीं खेल सका.
166 रन पर वेस्टइंडीज़ का आठवां विकेट गिर चुका था. वेस्टइंडीज़ लगभग मैच हार चुकी थी. अपील पर अपील जारी थी कि 203 पर नौवां विकेट गिर गया और होल्डर का विकेट भी सरफ़राज़ ने लिया.
सातवें नंबर पर बल्लेबाज़ी करने आए डेरेक मरे सिर्फ़ टिके हुए थे और उनका साथ दे रहे थे एंडी रॉबर्ट्स. दोंनों ने मिलकर आख़िरी विकेट के लिए 64 रनों की नाबाद पारी खेली.
इस प्रकार पाकिस्तान सेमीफ़ाइनल में प्रवेश करने से रह गया और वेस्टइंडीज़ ने आगे चलकर विश्व कप में ख़िताबी जीत हासिल की.

एक गेंद और 22 रन

फ़ाइल फोटो
1992 के विश्व कप में पहली बार दक्षिण अफ़्रीका की टीम प्रतिबंध के बाद खेलने उतरी थी.
दक्षिण अफ़्रीका ने धमाकेदार खेल दिखाया और सेमीफ़ाइनल में प्रवेश किया. लेकिन ऑस्ट्रेलिया के मौसम और क्रिकेट के डकवर्थ लुईस नियम ने दक्षिण अफ़्रीका को जो नुक़सान पहुंचाया, उसे क्रिकेट प्रेमी भूल नहीं पाए.
मैच था इंग्लैंड और दक्षिण अफ़्रीका का. खेल 10 मिनट की देर से शुरू हुआ और लंच में से यह समय काट लिया गया लेकिन कोई ओवर नहीं काटा गया.
इंग्लैंड ने बारिश के कारण घटा दिए गए 45 ओवरों में 252 रन बनाए.
दक्षिण अफ़्रीका ने 42.5 ओवरों में छह विकेट के नुक़सान पर 231 रन बना लिए थे, लेकिन तभी बारिश आ गई.
लेकिन फिर डकवर्थ लुईस नियम लागू हुआ और जब दोबारा खेल शुरू हुआ तो दक्षिण अफ़्रीका को एक गेंद पर 21 रन बनाने थे.
स्कोर बोर्ड पर जब यह लिखा आया तो पता चला कि दक्षिण अफ़्रीका तो मैच हार चुका है, बस औपचारिकता बची है.

'जंपिंग जावेद'

फ़ाइल फोटो
जावेद मियांदाद और विवाद एक दूसरे का पर्याय बन चुके थे.
बात चाहे ऑस्ट्रेलिया के गेंदबाज़ रॉडनी हॉग के रन आउट होने की हो, लिली से बहस या फिर अब्दुल क़ादिर को मैदान के बाहर चाक़ू लेकर डराने की, मैदान के अंदर-बाहर दोनों जगह विवाद मियांदाद के साथ रहे.
ये बात है 1992 विश्व कप में भारत-पाकिस्तान मैच की. भारत ने 49 ओवर में सात विकेट पर 216 रन बनाए थे. पाकिस्तान के लिए लक्ष्य हासिल करना ज़्यादा मुश्किल नहीं था. आमिर सुहैल और जावेद मियांदाद ने पाकिस्तान का स्कोर दो विकेट के नुक़सान पर 100 के पार पहुंचा दिया था.
फिर अचानक पाकिस्तान के विकेट गिरने लगे. सुहैल 62 रन बनाकर आउट हो गए. मलिक 12 रन बनाकर चलते बने, इमरान ख़ान शून्य पर रन आउट हो गए. वसीम अकरम को विकेट कीपर मोरे ने चार रन पर स्टंप कर दिया.
भारतीय खिलाड़ियों में उत्साह बढ़ता गया और पाकिस्तानी ख़ेमे में हताशा... मोरे विकेट के पीछे बार-बार उछल-उछलकर अपील कर रहे थे. मियांदाद पर दबाव बढ़ता जा रहा था जिसे ख़त्म करने के लिए अचानक मियांदाद ने मोरे से कुछ कहा और फिर मोरे की तरह कूदकर नक़ल उतारने लगे.
ऐसा दृश्य पहले किसी ने नहीं देखा था. पश्चिमी मीडिया ने दूसरे दिन 'जंपिंग जावेद' के नाम से ख़बर छापी और मियांदाद की वह तस्वीर लोगों की याद का हिस्सा बन गई.

विश्व कप गिरा दिया

विश्व कप के साथ ऑस्ट्रेलियन टीम (फ़ाइल फोटो)
1999 के ही विश्व कप में दक्षिण अफ़्रीका के आक्रामक और सलामी बल्लेबाज़ हर्शल गिब्स ने स्टीव वॉ का एक आसान कैच हाथ में लेकर तेज़ी से उछालने के क्रम में छोड़ दिया और वह भी ऐसे समय में जबकि ऑस्ट्रेलिया विश्व कप के सुपर सिक्स से बाहर होने वाली थी.
उसी समय वॉ ने गिब्स से कहा था, "दोस्त तुमने तो वर्ल्ड कप गिरा दिया."
विवाद यह नहीं था कि वह कैच कैसे गिरा बल्कि बात यह सामने आई कि शेन वार्न ने पहले ही कह रखा था कि गिब्स कैच गिराएगा और वैसा ही हुआ.
बाद में शेन वार्न ने कहा कि वह उनकी बहुत जल्दी ख़ुशी मनाने की प्रवृति से वाक़िफ़ थे और उसी की बुनियाद पर उन्होंने यह बात कही थी.
मगर आज तक यह विवाद ख़त्म नहीं हो सका कि गिब्स ने जान-बूझकर कैच छोड़ा था या नहीं.

वूल्मर की मौत

फ़ाइल फोटो
क्रिकेट विश्व कप उस समय अख़बारों की सुर्खियां बना जब पाकिस्तान टीम के कोच बॉब वूल्मर जमैका में अपने होटल के कमरे में मृत पाए गए.
एक दिन पहले ही उनकी टीम आयरलैंड से हार गई थी. स्थानीय पुलिस ने हत्या के नज़रिए से इस मामले की जांच शुरू की.
पुलिस ने टीम के खिलाड़ियों, प्रशंसकों और सट्टेबाजों के गिरोह पर हत्या का शक जताया. तीन महीने बाद जमैका पुलिस इस निष्कर्ष पर पंहुची की वूल्मर की मौत स्वाभाविक थी.

वार्न की घर वापसी

शेन वार्न
ऑस्ट्रेलिया के लेग स्पिनर शेन वार्न को 2003 में दक्षिण अफ्रीका में हुए विश्व कप के दौरान एक शाम घर वापसी का टिकट पकड़ा दिया गया. वार्न ड्रग टेस्ट में फ़ेल हो गए थे.
ऑस्ट्रेलिया ने दलील दी कि उन्होंने अपनी माँ की सलाह पर वज़न कम करने वाली दवा ली थी.
अधिकारियों ने उनके एक साल तक क्रिकेट खेलने पर पाबंदी लगा दी. उसके बाद वार्न अपने देश के लिए कभी भी एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट नहीं खेल पाए.

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