दिल्ली के त्रिवेणी कला संगम में देश की प्रथम महिला फ़ोटोग्राफ़र होमी व्यारवाला की खींची गई तस्वीरों की प्रदर्शनी चल रही है.
ये तस्वीरें 'इनर एंड आउटर लाइव्स' नाम से अल्काज़ी फ़ाउंडेशन ऑफ़ आर्ट के फ़ोटोग्राफ़ी कलेक्शन से प्रदर्शित की गई हैं.
मौजूदा दौर में पत्रकारिता और फ़ोटो पत्रकारिता में महिलाओं का होना आम बात है.
लेकिन एक ऐसा वक़्त भी था जब महिला फ़ोटो पत्रकार होना अचम्भे की बात मानी जाती थी.
और उसी दौर की मशहूर फ़ोटो पत्रकार का नाम है होमी व्यारवाला. उन्हें भारत की पहली महिला फ़ोटोग्राफ़र भी कहा जाता है.
होमी का जन्म 13 दिसंबर 1913 को नवसारी गुजरात में मध्यमवर्गीय पारसी परिवार में हुआ था.
मुंबई में पली-बढ़ीं होमी ने फ़ोटोग्राफ़ी की शिक्षा जेजे स्कूल ऑफ़ आर्ट से ली.
होमी व्यारवाला की तस्वीरें आज़ाद भारत से पूर्व और उसके बाद की कहानी कहती हैं.
उनकी पहली तस्वीर बॉम्बे क्रॉनिकल में प्रकाशित हुई थी.
बाद में वे अपने पति के साथ दिल्ली आ गईं और ब्रितानी सूचना सेवा की कर्मचारी के रूप में स्वतंत्रता के बाद की तस्वीरें खींचीं.
उस दौर में एक महिला फ़ोटो पत्रकार होना उनके लिए आसान क़तई नहीं रहा होगा.
लेकिन होमी ने अपने हाथों में रॉलिफ्लेक्स कैमरा लिए इस भूमिका को 1930 से 1970 तक बख़ूबी निभाया.
होमी व्यारवाला फ़ोटोग्राफी में 'ब्लैक एंड व्हॉइट' तस्वीरें लेना ज़्यादा पसंद करती थीं.
द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद उन्होंने 'इलस्ट्रेटेड वीकली ऑफ़ इंडिया' में 1970 तक काम किया.
इस अख़बार में उनके द्वारा खींची गई कई श्वेत श्याम तस्वीरें प्रकाशित हुईं.
होमी को दिन की रोशनी में 'लो एंगल' तस्वीरें और इसके विस्तार के लिए ब्लैक एंड व्हॉइट का प्रयोग पसंद था.
उनके कई फ़ोटोग्राफ़ 'टाइम', 'लाइफ', 'द ब्लैक स्टार' और कई अंतरराष्ट्रीय प्रकाशनों में फ़ोटो- कहानियों के रूप में प्रकाशित हुए.
1970 में होमी ने अपने पति के निधन के बाद फ़ोटोग्राफ़ी छोड़ दी.
40 वर्षों में एक बार भी फ़ोटोग्राफ़ी न करने के बाद भी होमी व्यारवाला की प्रसिद्धि धूमिल नहीं हुई.
2011 में भारत सरकार ने उन्हें पद्म विभूषण से सम्मानित किया.
होमी के कार्य और जीवन पर सबीना गडिहोक ने कई फ़ोटोग्राफ़रों के साक्षात्कार के आधार पर उनकी फ़ोटो आत्मकथा तैयार की है.
ये आत्मकथा 'कैमरा क्रॉनिकल ऑफ़ होमी व्यारवाला' नाम से 2006 में प्रकाशित हुई थी.
जनवरी 2012 में होमी व्यारवाला का निधन हो गया. होमी आज के दौर की तमाम महिला फ़ोटो पत्रकारों के लिए प्रेरणा स्रोत हैं और रहेंगी.
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