अपने ज़माने में सलीम दुर्रानी भारत के सबसे अच्छे ऑलराउंडर माने जाते थे. लेकिन दुर्रानी इसलिए मशहूर थे क्योंकि वो दर्शकों की मांग पर छक्का लगाया करते थे.
वर्ष 1973 में इंग्लैंड के भारत दौरे के दौरान जब उन्हें एक टेस्ट में नहीं खिलाया गया तो पूरे शहर में पोस्टर लग गए- 'नो दुर्रानी, नो टेस्ट'.
सलीम दुर्रानी के 80वें जन्मदिन पर रेहान फ़ज़ल नज़र दौड़ा रहे हैं उनसे जुड़े कई दिलचस्प पहलुओं पर
पढ़ें पूरी विवेचना
सलीम दुर्रानी के क्रिकेट आँकड़ों पर नज़र दौड़ाई जाए तो वो बहुत मामूली लगते हैं... 29 टेस्ट, 1202 रन, एक शतक, 25.04 का औसत और 75 विकेट. लेकिन जिन लोगों ने उनके साथ क्रिकेट खेली है या उन्हें खेलते हुए देखा है, उनके लिए इन आँकड़ों से बड़ा झूठ कुछ नहीं हो सकता.
वो निश्चित रूप से भारत के सबसे प्रतिभावान और स्टाइलिश खिलाड़ियों में से एक थे. लंबे छरहरे शरीर और नीली आँखों वाले सलीम दुर्रानी जहाँ भी जाते थे लोग उन्हें घेर लेते थे. उनके बारे में मशहूर था कि वो दर्शकों की फ़रमाइश पर छक्का लगाते थे और वो भी उस स्थान पर जहाँ से छक्का लगाने की मांग आ रही होती थी.
लॉयड और सोबर्स को दो लगातार गेंदों पर आउट किया
वैसे तो वर्ष 1971 में वेस्ट इंडीज़ पर भारत की विजय का नायक सुनील गावस्कर और दिलीप सरदेसाई को माना जाता है लेकिन इसमें सलीम दुर्रानी की भी बहुत महत्वपूर्ण भूमिका रही थी.
उन्होंने पोर्ट ऑफ़ स्पेन टेस्ट में दो लगातार गेंदों पर क्लाइव लॉयड और गैरी सोबर्स जैसे खिलाड़ियों को पवेलियन की राह दिखाई थी. उस मैच के 43 साल बाद भी दुर्रानी को वो गेंद याद है.
दुर्रानी बताते हैं, ''मुझे वो विकटें दिलवाने का श्रेय जयसिम्हा को जाता है. उन्हें मालूम था कि मैं तेज़ गति से स्पिन गेंदबाज़ी करता हूँ. उन्होंने वाडेकर को सलाह दी कि मुझे गेंद दी जाए. मेरी ललचाती हुई गेंद पर लायड ने जैसे ही शॉट लगाया, वो मिड ऑफ़ पर खड़े वाडेकर के हाथ में चिपक गया. अगली गेंद मैंने ऑफ़ स्टंप के बाहर बने रफ़ पर डाली. वो टर्न हुई और गैरी सोबर्स की लेग बेल ले उड़ी.''
सुनील गावस्कर अपनी आत्मकथा 'सनी डेज़' में लिखते है कि जब दुर्रानी ने सोबर्स को बोल्ड किया तो वो ज़ोर से उछले और करीब एक मिनट तक उछलते ही चले गए. दुर्रानी याद करते हैं कि गावस्कर उनके पास हंसते हुए आए और बोले- अंकल यूं ही स्किपिंग करते रहोगे या मैच को आगे भी बढ़ने दोगे.
टाइगर पटौदी का ऑफ़ स्टंप उखाड़ा
सलीम दुर्रानी के दोस्त और अपने ज़माने के मशहूर मीडियम पेसर कैलाश गट्टानी याद करते है कि एक बार राजस्थान और हैदराबाद के बीच रणजी ट्राफ़ी मैच हो रहा था.
हैदराबाद की ओर से टाइगर पटौदी बैटिंग कर रहे थे. कैलाश गट्टानी अपना पहला ओवर डाल चुके थे. जब वो दूसरे ओवर के लिए अपने बॉलिंग रन अप पर जा रहे थे, दुर्रानी ने उनसे कहा कि तुम थोड़ा आराम करो. मैं गेंदबाज़ी करूंगा. इसके बाद कैलाश गट्टानी शिकायत के अंदाज़ में कप्तान हनुमंत सिंह के पास गए.
हनुमंत ने कहा- अगर दुर्रानी ऐसा कर रहे हैं तो ज़रूर इसके पीछे कोई कारण होगा.
दुर्रानी ने नई गेंद से पटौदी को ऑफ़ स्टंप पर तीन गेंदे खिलाई और चौथी गेंद उन्होंने लेग स्टंप पर डाली जो स्पिन हुई और पटौदी का ऑफ़ स्टंप ले उड़ी. मैच पूरी तरह से पलट गया.
अगले ओवर में जब कैलाश गट्टानी अपनी फ़ील्डिंग पोज़ीशन पर जाने लगे तो सलीम ने कहा- ये लो पकड़ो अपनी गेंद और बाकी खिलाड़ियों को आउट कर लो.
ईस्ट स्टैंड में छक्का
ये तो रही सलीम दुर्रानी की गेंदबाज़ी की बात लेकिन उन्हें जाना जाता था आतिशी बल्लेबाज़ी की वजह से.
वर्ष 1973 में एमसीसी के भारत दौरे के दौरान वहाँ के ऑफ़ स्पिनर पैट पोकॉक एक पार्टी में अपनी गेंदबाज़ी के बारे में डींगें हांक रहे थे.
सलीम दुर्रानी मुंहफट तो थे ही. वो बोले, ''पैट तुम्हें ऑफ़ स्पिन आती ही नहीं. अगली बार जब तुम मुझे बॉलिंग करोगे, मैं तुम्हारी पहली ही गेंद पर ईस्ट स्टैंड पर छक्का लगाउंगा.''
एक टेस्ट में सर्वाधिक कैच लेने का विश्व रिकार्ड बनाने वाले यजुवेंद्र सिंह याद करते हैं कि मुम्बई टेस्ट में जब कप्तान माइक डेनेस ने पोकॉक को गेंद पकड़ाई तो उन्होंने याद दिलाया कि एक दिन पहले ही दुर्रानी ने उनसे कहा था कि वो उनकी पहली गेंद पर छक्का लगाएंगे.
डेनेस ने कहा- पार्टी की बात दूसरी है, ये टेस्ट मैच है. तुम बिना डरे ऑफ़ स्टंप के बाहर गेंद फेंको. मैंने तुम्हारे लिए मिडविकेट भी लगा रखा है.
पोकॉक ने गेंद फेंकी और दुर्रानी ने वादे के मुताबिक उनकी पहली गेंद पर ईस्ट स्टैंड की तरफ़ छक्का जड़ दिया. दुर्रानी फिर पोकॉक के पास गए और बोले कि मैंने आपसे कहा था न कि आप ऑफ़ स्पिनर नहीं हैं. उस पारी में दुर्रानी ने 73 रन बनाए.
अपना बिस्तर गावस्कर को दिया
सलीम दुर्रानी की दरियादिली के काफ़ी किस्से मशहूर हैं. सुनील गावस्कर अपनी आत्मकथा 'सनी डेज़' में लिखते हैं कि वर्ष 1971 के वेस्ट इंडीज़ दौरे से पहले उन्हें और सलीम दुर्रानी को श्रीलंका की टीम से मैच खेलने गुंटूर बुलाया गया.
गावस्कर लिखते हैं, ''हम मद्रास तक हवाई जहाज़ से गए. लेकिन वापसी में गुंटूर से मद्रास का सफ़र ट्रेन से तय करना था. मेरे पास कोई बिस्तर नहीं था. सलीम ने अपने रसूख का इस्तेमाल कर टीटी से कह कर अपने लिए एक कंबल और एक तकिए का इंतज़ाम कर लिया...''
गावस्कर आगे लिखते हैं, ''ठंड की वजह से जाड़े की रात में मुझे नींद नहीं आ रही थी. सलीम ने फ़ौरन ये कहते हुए अपना कंबल मुझे दे दिया कि अभी तो मैं लोगों से बातें कर रहा हूँ. तुम तब तक इसे ओढ़ो. अगले दिन सुबह जब मैं जागा तो देखा कि मैं तो कंबल से लिपटा हुआ हूं और सलीम एक बर्थ पर ख़ुद को गर्म रखने के लिए अपने घुटने मोड़े सिकुड़े हुए पड़े हैं. मुझे विश्वास नहीं हुआ कि एक माना हुआ टेस्ट क्रिकेटर किस तरह मुझ जैसे अनजान रणजी ट्रॉफ़ी खिलाड़ी के लिए अपना बिस्तर दे सकता है. उस दिन से मैं सलीम दुर्रानी को अंकल कहने लगा.''
जब सरदेसाई ने दुर्रानी को बेवकूफ़ बनाया
सलीम दुर्रानी मज़ाकिया प्रवृत्ति के इंसान हैं. हमेशा मज़ाक करना और ज़ोरदार ठहाके लगाना उनके व्यक्तित्व का हिस्सा है. लेकिन वर्ष 1971 के वेस्टइंडीज़ दौरे में उनकी ऐसी टांग खींची गई कि लोगों के पेट में हंसते-हंसते बल पड़ गए.
दुर्रानी याद करते हैं, ''हम एक होटल में ठहरे हुए थे. सरदेसाई मेरे रूम मेट थे. पांच-छह बजे का वक्त था. नीचे से मेरे कमरे में फ़ोन आया. क्या हम सलीम दुर्रानी साहब से बात कर सकते हैं. मैंने कहा- बोल रहा हूँ.
दूसरी तरफ़ से आवाज़ आई- हमें आप पर और भारतीय क्रिकेट पर गर्व है. हम आपसे मिलना चाहते हैं और आपके साथ फ़ोटो खिंचवाना चाहते हैं. मैंने कहा ऊपर आ जाइए. वो बोले नहीं हम आपका स्वीमिंग पूल के पास इंतज़ार कर रहे हैं. हम आपके लिए कुछ चीज़ें तोहफ़े में लाए हैं. हमें बहुत खुशी होगी अगर आप नीचे आकर उन्हें स्वीकार करें.
दुर्रानी बताते हैं, ''मैं अपने कपड़े बदलकर नीचे गया तो मुझे कोई नज़र नहीं आया. मैं अपने कमरे में वापस आकर फिर कपड़े बदलकर बैठ गया. दस मिनट बाद नीचे से फिर फ़ोन आया, दुर्रानी साहब हम आपका इंतज़ार कर रहे हैं. मैं दोबारा नीचे गया. वो बोले हम आपके लिए टेप रिकार्डर लाए हैं. उन दिनों हमें टेस्ट मैच खेलने के पैसे बहुत कम मिलते थे. मैं दोबारा नीचे गया तो देखा वहाँ फिर कोई नहीं था. मैंने रिसेप्शनिस्ट से पूछा कि कोई मुझसे मिलने तो नहीं आया है.''
जबाव मिला- किसी को नहीं देखा है. मैं ऊपर अपने कमरे की तरफ़ वापस जा ही रहा था कि एक खंभे के पीछे से सरदेसाई की आवाज़ सुनाई दी- तो तुम्हें टेप रिकार्डर चाहिए. मुझे सरदेसाई पर इतना गुस्सा आया कि मैं उनके पीछे भागा और उन्हें स्वीमिंग पूल में गिराकर ही दम लिया.
परवीन बाबी के साथ एक्टिंग
टेस्ट क्रिकेट से रिटायर होने के बाद मशहूर फ़िल्म निर्देशक बाबूराम इशारा ने सलीम दुर्रानी को अपनी फ़िल्म 'चरित्र' के लिए बतौर हीरो साइन किया.
दुर्रानी की हीरोइन थीं मशहूर फ़िल्म अभिनेत्री परवीन बाबी. यजुवेंद्र सिंह याद करते हैं, ''सलीम दुर्रानी बहुत मज़े के आदमी थे. देखने में तो अच्छे थे ही इसीलिए उन्हे अभिनय का मौका भी मिला चरित्र फ़िल्म में. जब वो फ़िल्म की शूटिंग के बाद हैदराबाद आए तो हमने सोचा सलीम भाई से ट्रीट ली जाए क्योंकि हमें पता था कि उन्हें एक्टिंग के लिए 18,000 रुपये मिले हैं.''
''जब हमने ये फरमाइश उनके सामने रखी तो वो बोले- हमारे पास पैसा ही नहीं है. हमने कहा, हमें पता है आपको 18,000 रुपये मिले हैं. सलीम बोले वो पैसे तो हमने परवीन बाबी पर लुटा दिए. ऐसे ही थे वो... बिल्कुल बिंदास !''
8 बाई 5 फ़ीट के कमरे में इंटरव्यू
एक बार इलेस्ट्रेटेड वीकली के संपादक प्रीतिश नंदी ने मशहूर पत्रकार अयाज़ मेमन को सलीम दुर्रानी का इंटरव्यू लेने के लिए भेजा.
उस समय दुर्रानी को क्रिकेट से रिटायर हुए 17 साल हो चुके थे. अयाज़ को पता चला कि सलीम चौपाटी के आराम होटल में ठहरे हुए हैं. जब वो वहाँ पहुंचे तो ये देखकर आश्चर्यचकित रह गए कि दुर्रानी 8 बाई 5 फ़िट के कमरे में ठहरे हुए हैं.
उस समय दुर्रानी तंगी के दौर से गुज़र रहे थे लेकिन उन्होंने ये आभास भी नहीं होने दिया कि उनके बुरे दिन चल रहे हैं. अयाज़ बताते हैं कि जब मैं इंटरव्यू लेकर बाहर निकल रहा था तो मैंने होटल मालिक से पूछा कि इस कमरे का क्या किराया होगा जिसमें दुर्रानी ठहरे हुए थे.
उन्होंने कहा यही कोई 25 रुपये प्रति दिन. मैंने उनसे पूछा कि क्या दुर्रानी ये किराया अदा कर पाते हैं? होटल मालिक का जवाब था- मेरी मजाल कि मैं दुर्रानी से किराया मांगने की जुर्रत करुं. उसने मुझसे गुस्से में पूछा- क्या आपने उन्हें कभी खेलते हुए नहीं देखा क्या? मैंने उन्हें खेलते हुए देखा था और मैं समझ सकता था वो ऐसा क्यों कह रहा था.
No comments:
Post a Comment