आज से तकरीबन चार हजार साल पहले रावी का तट। मूसलाधार बारिश हो रही थी। जल, जंगल, जमीन और इलाके पर अपना वर्चस्व कायम करने के लिए आर्यों के दो कबायली गुट एक-दूसरे के आमने-सामने थे। इस खतरनाक और हैरतअंगेज जंग में जहां एक तरफ थीं पुरु नाम के कबीले की अगुवाई में दस राजाओं की सेनाएं, जबकि दूसरी ओर तृत्सु कबीले का राजा सुदास भरतों का नेतृत्व कर रहा था। कोई नहीं जानता था कि तब परूष्णी कही जाने वाली रावी के उस पार हिंदुस्तान के इतिहास का नया सवेरा जन्म ले रहा था। जहां के तटों पर ऋग्वैदिक काल से कोई हजार साल पहले ही हड़प्पा सभ्यता ने दम तोड़ा था। आर्यों के दो कबीलों के बीच यह लड़ाई दाशराज्ञ युद्ध के नाम से जानी गई, जिसमें सुदास ने जबरदस्त जीत हासिल की। दिनभर की भीषण लड़ाई और बड़े पैमाने पर नरसंहार के बाद ही हिंदुस्तान की तकदीर का फैसला हो गया।
इतिहास ने करवट ली और हमारे देश का नाम भारत पड़ा। भारतीय उपमहाद्वीप में आर्यों का डंका बजा और पांच नदियों वाले प्रदेश पंजाब से शुरू होकर गंगा-यमुना के मैदानों तक आर्यों के प्रसार का सिलसिला शुरू हो गया। दरअसल यह गाथा सभ्यता के सृजन और विनाश की है, जिसकी यह महज एक शुरुआत भर थी। मशहूर लेखक अशोक बैंकर ने अपनी किताब टेन किंग्स में इसी वैदिक कालीन युद्ध को आधार बनाया है। जिसके बाद भारत में आर्यों की खेती और युद्ध की परंपरा की नींव पड़ी। किताब में इस युद्ध का इतना सजीव वर्णन है कि जैसे हम आंखों देखा हाल पढ़ रहे हों। वास्तव में अशोक बैंकर ने किताब को लिखते वक्त खुद को महाभारत के उस संजय की तरह ही रखा है, जिसने महाभारत के युद्ध का आंखों देखा हाल दरबार में बैठे नेत्रहीन शासक धृतराष्ट्र को सुनाया था। बैंकर ने किताब के ऐतिहासिक और पौराणिक कथानक को फिक्शन शैली में लिखा है।
हालांकि इतिहास में आर्यों के आगमन पर अभी भी रह-रहकर विवाद उठ खड़ा होता है। जैसा कि दिल्ली विश्वविद्यालय के संस्कृत विभाग के प्रमुख प्रोफेसर रमेश भारद्वाज कहते हैं कि हाल के नए शोधों में यह बात सामने आई है कि आर्य कहीं और से नहीं आए थे, बल्कि वे यहीं से थे, क्योंकि आर्यों का इतिहास पुरातत्व पर नहीं, बल्कि वैदिक ग्रंथों पर आधारित है। खैर विवाद आर्यों के आगमन को लेकर भले ही हो, मगर इस युद्ध का किताबी साक्ष्य तो है ही। इस ऐतिहासिक युद्ध का वर्णन ऋग्वेद के सातवें मंडल में किया गया है। अशोक बैंकर पहले भी मिथकों पर आधारित उपन्यासों की रचना में माहिर रहे हैं। उनकी आठ खंडों में रामायण पर आधारित किताबें पहले ही बेस्टसेलर रह चुकी हैं।
ऐसे में ‘टेन किंग्स’ भी इतिहास और मिथ के बीच के सत्य की कड़ी को तलाश करने वाली किताब साबित हो सकती है। जिसमें इंसानी जुनून और जज्बे की कहानी है। जिसमें सभ्यताएं धड़कती हैं और आने वाली संस्कृतियों की आहट साफ सुनाई देती है। भारतीय मिथकों पर किताब लिखने की एक तरह से परंपरा की नींव डालने वाले बैंकर की इस किताब का नायक सुदास किसी आम इंसान की तरह अपने सामने विशालकाय सेनाओं को देखकर पस्त नहीं होता, बल्कि दोगुने हौसले और साहस के साथ मैदान में सामना करने उतरता है। यह ठीक वैसे ही है जैसे मध्य अमेरिकी देशों की चर्चित रहस्यमयी माया सभ्यता पर बनी फिल्मकार मेल गिब्सन की फिल्म एपोकैलिप्टो का नायक।
जो दुश्मन कबीलों से जान बचाकर जब अपने जंगल में पहुंचता है तो उसमें जोश भर जाता है और आसमान की ओर जंगल के बीचोंबीच खड़ा होकर वह कहता है कि इस जंगल का जगुआर (शेर) मैं हूं। यह जगुआर बैंकर में भी जिंदा है, जो लगातार लिख रहे हैं। अब तक� 42 किताबें और 24 लाख प्रतियों का कीर्तिमान बना चुके बैंकर अपने एक ट्वीट में भी कहते हैं कि लेखक कभी आराम नहीं करता, बल्कि वह हमेशा तैयार रहता है अपने अगले लक्ष्य के लिए।
इतिहास ने करवट ली और हमारे देश का नाम भारत पड़ा। भारतीय उपमहाद्वीप में आर्यों का डंका बजा और पांच नदियों वाले प्रदेश पंजाब से शुरू होकर गंगा-यमुना के मैदानों तक आर्यों के प्रसार का सिलसिला शुरू हो गया। दरअसल यह गाथा सभ्यता के सृजन और विनाश की है, जिसकी यह महज एक शुरुआत भर थी। मशहूर लेखक अशोक बैंकर ने अपनी किताब टेन किंग्स में इसी वैदिक कालीन युद्ध को आधार बनाया है। जिसके बाद भारत में आर्यों की खेती और युद्ध की परंपरा की नींव पड़ी। किताब में इस युद्ध का इतना सजीव वर्णन है कि जैसे हम आंखों देखा हाल पढ़ रहे हों। वास्तव में अशोक बैंकर ने किताब को लिखते वक्त खुद को महाभारत के उस संजय की तरह ही रखा है, जिसने महाभारत के युद्ध का आंखों देखा हाल दरबार में बैठे नेत्रहीन शासक धृतराष्ट्र को सुनाया था। बैंकर ने किताब के ऐतिहासिक और पौराणिक कथानक को फिक्शन शैली में लिखा है।
हालांकि इतिहास में आर्यों के आगमन पर अभी भी रह-रहकर विवाद उठ खड़ा होता है। जैसा कि दिल्ली विश्वविद्यालय के संस्कृत विभाग के प्रमुख प्रोफेसर रमेश भारद्वाज कहते हैं कि हाल के नए शोधों में यह बात सामने आई है कि आर्य कहीं और से नहीं आए थे, बल्कि वे यहीं से थे, क्योंकि आर्यों का इतिहास पुरातत्व पर नहीं, बल्कि वैदिक ग्रंथों पर आधारित है। खैर विवाद आर्यों के आगमन को लेकर भले ही हो, मगर इस युद्ध का किताबी साक्ष्य तो है ही। इस ऐतिहासिक युद्ध का वर्णन ऋग्वेद के सातवें मंडल में किया गया है। अशोक बैंकर पहले भी मिथकों पर आधारित उपन्यासों की रचना में माहिर रहे हैं। उनकी आठ खंडों में रामायण पर आधारित किताबें पहले ही बेस्टसेलर रह चुकी हैं।
ऐसे में ‘टेन किंग्स’ भी इतिहास और मिथ के बीच के सत्य की कड़ी को तलाश करने वाली किताब साबित हो सकती है। जिसमें इंसानी जुनून और जज्बे की कहानी है। जिसमें सभ्यताएं धड़कती हैं और आने वाली संस्कृतियों की आहट साफ सुनाई देती है। भारतीय मिथकों पर किताब लिखने की एक तरह से परंपरा की नींव डालने वाले बैंकर की इस किताब का नायक सुदास किसी आम इंसान की तरह अपने सामने विशालकाय सेनाओं को देखकर पस्त नहीं होता, बल्कि दोगुने हौसले और साहस के साथ मैदान में सामना करने उतरता है। यह ठीक वैसे ही है जैसे मध्य अमेरिकी देशों की चर्चित रहस्यमयी माया सभ्यता पर बनी फिल्मकार मेल गिब्सन की फिल्म एपोकैलिप्टो का नायक।
जो दुश्मन कबीलों से जान बचाकर जब अपने जंगल में पहुंचता है तो उसमें जोश भर जाता है और आसमान की ओर जंगल के बीचोंबीच खड़ा होकर वह कहता है कि इस जंगल का जगुआर (शेर) मैं हूं। यह जगुआर बैंकर में भी जिंदा है, जो लगातार लिख रहे हैं। अब तक� 42 किताबें और 24 लाख प्रतियों का कीर्तिमान बना चुके बैंकर अपने एक ट्वीट में भी कहते हैं कि लेखक कभी आराम नहीं करता, बल्कि वह हमेशा तैयार रहता है अपने अगले लक्ष्य के लिए।
No comments:
Post a Comment