Saturday, 2 May 2015

क्या दूसरी कोशिश में सुभाष चंद्रा दूसरे कैरी पैकर बन पाएंगे? @विकास बहुगुणा

70 के दशक में अपनी बगावत से कैरी पैकर ने क्रिकेट का हुलिया बदल दिया था. 2007 में कुछ ऐसा ही करने के प्रयास में असफल रहे सुभाष चंद्रा की क्या दूसरी कोशिश कामयाब होगी?
1970 के दशक में ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट बोर्ड ने जब कैरी पैकर के चैनल 9 को मैचों के प्रसारण अधिकार नहीं दिए तो उन्होंने वर्ल्ड सीरीज नाम से अपना एक अलग आयोजन शुरू कर दिया था. इयान चैपल, डेनिस लिली, टोनी ग्रेग और क्लाइव लायड जैसे उस दौर के ज्यादातर बड़े खिलाड़ियों को उनके बोर्डों से तोड़कर वे क्रिकेट की दुनिया में भूचाल ले आए. इस भूचाल में ऑस्ट्रेलिया की तो लगभग पूरी टीम ही साफ हो गई थी. हालत यह हो गई कि बिशन सिंह बेदी की कप्तानी में भारतीय टीम ऑस्ट्रेलिया दौरे पर गई तो वहां के बोर्ड को बिल्कुल ही नए खिलाड़ियों की टीम तैयार करनी पड़ी जिसका नेतृत्व बॉबी सिंपसन को सौंपा गया. 41 साल के सिंपसन 10 साल पहले अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास ले चुके थे.+
पैकर की वर्ल्ड सीरीज ने क्रिकेट को बदलकर रख दिया. वनडे क्रिकेट में खिलाड़ियों की रंग-बिरंगी ड्रेस और दिन-रात के मैच जैसे बदलाव इसी की देन हैं. इसके चलते खेल में तेजी आई, खिलाड़ियों को ज्यादा पैसे मिलने लगे और मैचों के प्रसारण अधिकार पाने और प्रायोजक बनने के लिए बड़ी बोली लगने लगी.+
एस्सेल ग्रुप के प्रमोटर सुभाष चंद्रा ने जब 2007 में आईसीएल यानी इंडियन क्रिकेट लीग का ऐलान किया तो तब तक उनकी कहानी भी काफी हद तक कैरी पैकर जैसी ही थी.
एस्सेल ग्रुप के प्रमोटर सुभाष चंद्रा ने जब 2007 में आईसीएल यानी इंडियन क्रिकेट लीग का ऐलान किया तो तब तक उनकी कहानी भी काफी हद तक कैरी पैकर जैसी ही थी. आज 70 चैनलों के जरिये दुनिया भर में 70 करोड़ से भी ज्यादा दर्शकों तक पहुंच रखने वाली उनकी कंपनी जी एंटरटेनमेंट का भारतीय टीवी चैनलों की दुनिया में बड़ा रसूख है. लेकिन दो-दो खेल चैनल होने के बावजूद चंद्रा को बीसीसीआई से खेल प्रसारण के अधिकार नहीं मिल पा रहे थे. वह भी सबसे ज्यादा बोली लगाने के बावजूद. कभी इस आधार पर उन्हें मना कर दिया गया कि उनके पास मैचों का प्रसारण करने के लिए पर्याप्त ढांचा नहीं है तो कभी इसलिए कि इस खेल की मार्केटिंग के मामले में उनके पास अनुभव कम है.+
भारत में अपनी लोकप्रियता के चलते क्रिकेट मैचों का सीधा प्रसारण सोने की खदान है. लेकिन सुभाष चंद्रा के हाथ सोना कम और धूल ज्यादा आ रही थी. जानकारों के मुताबिक यही वजह है कि उन्होंने आईसीएल शुरू करने का फैसला किया. खेल के ट्वेंटी-20 संस्करण वाले इस आयोजन से ब्रायन लारा, इंजमाम उल हक और तमाम नामी खिलाड़ी जुड़े थे. इसके प्रशासकों में कपिल देव और किरण मोरे जैसे नाम थे. तब एक बड़े वर्ग का कहना था कि सुभाष चंद्रा अगले कैरी पैकर होने वाले हैं. लेकिन ऐसा हुआ नहीं. दो सीजन के बाद आईसीएल फुस्स हो गया.+
अब खबर आ रही है कि चंद्रा फिर क्रिकेट की स्थापित सत्ता को चुनौती देने की तैयारी में हैं. उनका जोर सिर्फ एक अलग टूर्नामेंट आयोजित करवाने पर ही नहीं बल्कि आईसीसी के समानांतर एक संस्था खड़ी करने पर भी है. ब्रिटिश अखबार द गार्डियन की खबर के मुताबिक ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और स्कॉटलैंड एस्सेल ग्रुप ने ऐसी कंपनियां बनाई हैं जिनका नाम इन देशों के क्रिकेट बोर्डों को चुनौती देता लगता है. जैसे ऑस्ट्रेलिया में ऑस्ट्रेलिया क्रिकेट कंट्रोल लिमिटेड नाम की कंपनी का गठन हुआ है तो न्यूजीलैंड में कीवी क्रिकेट लिमिटेड बनाई गई है और स्कॉटलैंड में क्रिकेट कंट्रोल स्कॉटलैंड.+
कैरी पैकर की वर्ल्ड सीरीज ने क्रिकेट का हुलिया बदल दिया था
कैरी पैकर की वर्ल्ड सीरीज ने क्रिकेट का हुलिया बदल दिया था
इसी दौरान वर्ल्डक्रिकेटकाउंसिलडॉटकोडॉटइन, क्रिकेटएसोसिएशनऑफइंग्लैंडडॉटकोडॉटइन जैसी कई वेबसाइटों का भी रजिस्ट्रेशन हुआ है. अखबार के मुताबिक यह रजिस्ट्रेशन टेन स्पोर्ट्स के एक कर्मचारी दीपक श्रीवास्तव के नाम पर हुआ है. टेन स्पोर्ट्स एस्सेल ग्रुप के स्वामित्व वाली जी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइज की कंपनी है. कुछ देशों के बोर्डों ने यह मुद्दा उठाया है जिसके बाद इस पर आईसीसी की दुबई में हुई हालिया बैठक में भी चर्चा हुई. बताया जा रहा है कि इस मामले की जांच के लिए एक समिति भी बनाई गई है जिसमें आईसीसी चैयरमैन एन श्रीनिवासन, इंग्लैंड के जाइल्स क्लार्क और ऑस्ट्रेलिया के वैली एडवर्ड्स हैं. आईसीसी उन खबरों से भी चिंतित है जिनमें कहा जा रहा है कि इस कवायद में उन ललित मोदी की भी अहम भूमिका है जिन्हें आईपीएल के पीछे का दिमाग कहा जाता है. मोदी को बीसीसीआई ने भ्रष्टाचार के आरोप में 2010 में बाहर का रास्ता दिखा दिया था. बाद में बोर्ड ने उन पर आजीवन प्रतिबंध भी लगा दिया.+
एस्सेल समूह ने भी एक प्रेस रिलीज में माना है कि वह क्रिकेट को उसके परंपरागत दायरों से बाहर ले जाना चाहता है. सुभाष चंद्रा ने भी एक ट्वीट में यह बात कही है.
हालांकि एस्सेल ग्रुप और मोदी, दोनों ने इससे इनकार किया है. द गार्डियन से बातचीत में मोदी ने कहा कि उन्होंने यह योजना देखी है और इस पर काफी चर्चा भी की है, लेकिन वे इसमें शामिल नहीं हैं. मोदी ने इसकी पुष्टि की है कि चंद्रा न सिर्फ एक अलग टूर्नामेंट बल्कि खेल की एक अलग ही संस्था खड़ी करने की तैयारी में हैं. यह संस्था ट्वेंटी-20 और टेस्ट, दोनों ही तरह के मैच करवाएगी. उनके मुताबिक मौजूदा दौर के बहुत से बड़े खिलाड़ियों को इस बात की जानकारी है. मुंहमांगे पैसे की पेशकश के चलते कइयों की इस नई कवायद में दिलचस्पी भी है. ऑस्ट्रेलिया के अखबार सिडनी मॉर्निंग हेराल्ड में छपी एक खबर के मुताबिक तो ऑस्ट्रेलियाई टीम के खिलाड़ियों माइकल क्लार्क और डेविड वार्नर को नई टी-20 लीग से जुड़ने के लिए पांच करोड़ डॉलर यानी करीब 300 करोड़ रु की पेशकश की जा सकती है.+
उधर, एस्सेल समूह ने भी एक प्रेस रिलीज में माना है कि वह क्रिकेट को उसके परंपरागत दायरों से बाहर ले जाना चाहता है. सुभाष चंद्रा ने भी एक ट्वीट में यह बात कही है. हालांकि यह कैसे होगा और कब होगा, इस बारे में समूह की तरफ से कुछ नहीं कहा गया है.+
अब सवाल यह है कि क्या चंद्रा इस बार कामयाब होंगे. द गार्डियन के मुताबिक पूर्व ललित मोदी ने आईसीसी को चेतावनी दी है कि अरबों डॉलर का यह प्रोजेक्ट आईसीसी के एकछत्र राज को चुनौती देगा. वे यह भी मानते हैं कि सुभाष चंद्रा एक बार जब कुछ करने की ठान लेते हैं तो कोई कितना भी मना करे, वे रुकते नहीं.+
लेकिन वही कारण इस नई कवायद के लिए भी बड़ी चुनौती हो सकते हैं जिनके चलते आईसीएल फुस्स हो गया. दरअसल कैरी पैकर और आज के वक्त में फर्क है. पैकर ने जब क्रिकेट को तोड़ा था तो उस समय इस खेल में उतना पैसा नहीं था. इंग्लैंड में खिलाड़ियों की यूनियन थी. ऑस्ट्रेलिया में भी बुरा हाल था. टेस्ट कम खेले जाते थे और खिलाड़ी पार्ट टाइम काम भी करते थे. लेकिन आज ऐसा नहीं है. क्रिकेट में पैसा बरस रहा है.+
आईसीएल के नाकामयाब होने की एक और वजह यह भी थी कि यह भारत में शुरू हुई. अपनी लोकप्रियता और बड़े बाजार की वजह से भारत क्रिकेट का गढ़ है. इसके चलते इसे चलाने वाली संस्था बीसीसीआई इतनी ताकतवर हो चुकी है कि आईसीसी तक में एक पत्ता तक उसकी मर्जी के बगैर नहीं खड़कता. इस ताकत का उसने सुभाष चंद्रा के खिलाफ अच्छी तरह से इस्तेमाल किया. आईसीएल से किसी भी तरह का नाता रखने वालों का एक तरह से हुक्का पानी बंद कर दिया गया था. बीसीसीआई ने न सिर्फ आईसीएल को मान्यता देने से इनकार कर दिया बल्कि यह भी ऐलान किया कि इससे जुड़ने वाले खिलाड़ी अपने देशों की टीम में नहीं खेल पाएंगे. बांग्लादेश की आधी टीम आईसीएल में थी. पाकिस्तान और न्यूजीलैंड जैसे देशों के भी कई अहम खिलाड़ी इसमें थे. इसके चलते आईसीएल को तगड़ा झटका लगा. बाद में बीसीसीआई ने आईसीएल से नाता तोड़ने वाले खिलाड़ियों को माफी देने का ऐलान किया तो आईसीएल की बची-खुची ताकत भी ढह गई. आज भी बीसीसीआई यही कर सकती है. खबरें आने भी लगी हैं कि दक्षिण अफ्रीका या पाकिस्तान जैसे जिन देशों में टेन स्पोर्ट्स के पास घरेलू मैचों का प्रसारण करने के अधिकार हैं वहां दूसरी टीमों के प्रस्तावित दौरे रद्द हो सकते हैं.+
क्रिकेट के जानकारों का मानना है कि क्रिकेट में एक समानांतर संस्था खड़ी करने के लिए सिर्फ बहुत पैसा होना ही काफी नहीं है. इसके लिए बहुत समय और नतीजतन धैर्य भी चाहिए.
क्रिकेट के जानकारों का मानना है कि क्रिकेट में एक समानांतर संस्था खड़ी करने के लिए सिर्फ बहुत पैसा होना ही काफी नहीं है. इसके लिए बहुत समय और नतीजतन धैर्य भी चाहिए. द गार्डियन से बातचीत में ललित मोदी कहते हैं, ‘ यह ऐसी चीज नहीं है कि आपने सोचा और कोई चीज लांच कर दी. इसमें कई साल का समय लगेगा. यह कोई टूर्नामेंट आयोजित करने की नहीं बल्कि पूरे खेल को ही जमीन से खड़ा करने की बात है.’ कई और जानकार भी यही मानते हैं कि इस काम के लिए चैनलों के अलावा स्टेडियम और प्रशिक्षण सुविधाएं भी चाहिए जिन्हें जुटाने या बनाने में वक्त लगता है.+
और सबसे ज्यादा तो ज्यादा भरोसा चाहिए. आईसीएल का नाम फिक्सिंग और खिलाड़ियों को पूरा पैसा न देने के चलते काफी खराब हुआ था. 12 क्रिकेटरों ने इस पर मुकदमा ठोका था. अब कहा जा रहा है कि दोनों पक्ष एक समझौते पर पहुंच गए हैं. यह पुराना ट्रैक रिकॉर्ड भी इस नई कवायद के खिलाफ जा सकता है.+
लेकिन कुछ बातें इस सुभाष चंद्रा की इस नई कवायद के समर्थन में भी जाती हैं. जानकारों के मुताबिक आईसीसी पर एक तरह से भारत, ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड का कब्जा हो गया है. इसके चलते उन बाकी देशों के प्रशासन और खिलाड़ियों में काफी असंतोष बताया जाता है जो एक बड़ी हद तक इस तिकड़ी के आगे खुद को बेबस महसूस कर रहे हैं. मोदी के मुताबिक आईसीसी को अपने चार्टर के मुताबिक काम करना चाहिए जिसका लक्ष्य है क्रिकेट का विस्तार करना. लेकिन वह सिर्फ इससे पैसा दुहने में लगी है. 2017 में होने वाली टेस्ट चैंपियनशिप रद्द कर दी गई है और 2019 में विश्व कप को फिर से 10 टीमों तक सीमित करने की योजना है. जानकार मानते हैं कि ऐसे में कोई बड़ा और आकर्षक दांव खेल को आईसीसी के नियंत्रण से परे ले जा सकता है. मोदी के मुताबिक सुभाष चंद्रा यही मौका देख रहे हैं. अपने एक हालिया ट्वीट में उनका कहना है, ‘ अभी इस खेल में आईसीसी के रूप में सिर्फ एक निजी संस्था है. अगर अंतराष्ट्रीय स्तर पर कोई दूसरी निजी संस्था वजूद में आती है तो खिलाड़ियों और दर्शकों को फायदा होगा. इसलिए मैं यह कोशिश कर रहे किसी भी व्यक्ति का समर्थन करता हूं.’+
मोदी का यह भी मानना है कि खिलाड़ियों का भरोसा बहाल करना ज्यादा मुश्किल काम नहीं है. उनके मुताबिक अगर पैसे का एक बड़ा हिस्सा पहले ही उन्हें दे दिया जाए तो यह समस्या हल हो जाएगी. बताया जा रहा है कि इस नई कवायद में पैसा लगाने की इच्छा रखने वाले बहुत हैं इसलिए खिलाड़ियों को मोटा एडवांस देना भी मुश्किल काम नहीं होगा.+
यानी इस बार सुभाष चंद्रा के लिए संभावनाएं पहले से कुछ बेहतर हैं.

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