Thursday, 26 March 2015

50 साल से थी अदावत, अब मिल रहे हैं दिल @ज़ुबैर अहमद

ओबामा, राउल कास्त्रो
क्यूबा के 'पहले उप राष्ट्रपति' मिगुएल डायज़ कनेल सोमवार को भारत के दो दिनों के दौरे पर आए लेकिन इस खबर को सुर्ख़ियों में जगह नहीं मिल सकी जबकि क्यूबा भारत के घनिष्ठ दोस्तों में से एक है.
लगभग चार महीने पहले यानी 17 दिसंबर 2014 का दिन क्यूबा और अमरीका के लिए एक ऐतिहासिक दिन था. लेकिन यहां भारत में वह खबर भी चर्चा में अधिक नहीं रही.
तीन साल पहले, 60 साल में पहली बार, क्यूबा में कई निजी या कहें ग़ैर सरकारी चाय की दुकानें और कैफ़े आदि खुलीं लेकिन इस खबर को भी अधिक अहमियत नहीं मिली. अब तक क्यूबा में हर व्यवसाय और हर दुकान सरकार की मिल्कियत होती थी.

क्रांति के बाद मिली सत्ता

क्यूबा
क्यूबा उन गिने-चुने देशों में है जिसने पचास साल से अधिक समय गुज़ारने के बावजूद अमरीका के आगे सिर नहीं झुकाया.
फिदेल कास्त्रो ने जब 1959 में क्रांति लाकर सत्ता संभाली तो अमरीका ने क्यूबा की वामपंथी सियासत और समाजवादी क्रांति के कारण इससे अपने राजनयिक संबंध तोड़ डाले. कास्त्रो ने सोवियत यूनियन से घनिष्ठ सम्बन्ध जोड़े.
कास्त्रो ने 1962 में सोवियत यूनियन को अपने देश में परमाणु मिसाइल लगाने की इजाज़त दी जिससे अमरीका और सोवियत यूनियन के बीच परमाणु मिसाइल जंग का खतरा पैदा हो गया.जब खतरा टला तो क्यूबा सोवियत यूनियन के और भी क़रीब चला गया.
फ़िदेल कास्त्रो, क्यूबा
फिदेल कास्त्रो की वामपंथी सरकार ने सभी निजी उद्योग, बैंकों और व्यापार का राष्ट्रीयकरण कर दिया, यानि सब कुछ सरकार की मिल्कियत बन गया.
अमरीका ने फिदेल कास्त्रो और उनकी सरकार पर मानवाधिकारों के उल्लंघन, अपने सियासी प्रतिद्वंद्वियों को जेलों में बंद करने का इल्ज़ाम लगाया. अमरीका ने क्यूबा के खिलाफ हर तरह के प्रतिबंध लगा दिए जो आज तक जारी हैं.

शीत युद्ध और सोवियत विघटन

सोवियत यूनियन के 1991 में बिखरने, कोल्ड वॉर का अंत होने और हाल के वर्षों में इस्लामिक चरमपंथियों के उभरने के बाद इस बदलती दुनिया में कोई स्थायी दुश्मन नहीं. दुनिया में अमरीका की प्राथमिकता बदली है.
यूएसएसआर कांग्रेस
क्यूबा बदल रहा है अमरीका भी अपनी नीति में परिवर्तन ला रहा है. अमरीका और क्यूबा के बीच 50 साल से टूटे रिश्ते अब जुड़ने जा रहे हैं.
17 दिसंबर, 2014 के दिन अमरीकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने क्यूबा से संबंध जोड़ने का एलान किया.
ये घटना इतनी ऐतिहासिक थी कि इसे क्यूबा और अमेरिका की आने वाली पीढ़ियां याद रखेंगी और राष्ट्रपति ओबामा के उस भाषण को भी.

अमरीकी राष्ट्रपति बराक ओबामा
ओबामा ने कहा, "आज अमरीका क्यूबा के लोगों के साथ सम्बन्ध बदल रहा है. पचास साल से अधिक समय में हमारी नीति में इस अहम परिवर्तन के अंतर्गत हम अपने बेअसर पुराने नज़रिए को बदलते हुए क्यूबा के साथ संबंधों को सामान्य करने की शुरुआत कर रहे हैं."

जनता की इज़्ज़त के क़ाबिल

उधर व्हाइट हाउस से ओबामा ने संबंध सुधारने के एलान किया तो दूसरी तरफ क्यूबा के राष्ट्रपति राउल कास्त्रो ने राजधानी हवाना से.
फिदेल कास्त्रो, राउल कास्त्रो, क्यूबा
फिदेल कास्त्रो और क्यूबा के वर्तमान राष्ट्रपति राउल कास्त्रो.
राउल ने कहा, "राष्ट्रपति ओबामा का ये फैसला हमारी जनता की इज़्ज़त और सम्मान के क़ाबिल है. हम क्यूबा और अमरीका के बीच संबंधों को सुधारने में वैटिकन और ख़ास तौर से पोप फ्रांसिस की मदद की सराहना करते हैं और उनका शुक्रिया अदा करते हैं."
कास्त्रो के भाषण में पोप फ्रांसिस की कोशिशों का ज़िक्र है. जी हां, इस ऐतिहासिक लम्हे की कामयाबी के लिए अमरीका ने पोप फ्रांसिस की मदद ली थी जिनका कैथोलिक धर्म को माने वाले क्यूबा के निवासियों में गहरा असर है.
इस ऐतिहासिक दिन तक का सफर तय करने में दोनों देशों को 18 महीने लग गए. कई दौर की ख़ुफ़िया मुलाक़ातों का ये नतीजा था.
फ़िदेल कास्त्रो, क्यूबा
क्यूबा वालों के लिए ये सब अचानक हुआ. वहां इस एलान के बाद जश्न का माहौल था.
राजधानी हवाना में मौजूद बीबीसी संवाददाता विल ग्रांट कहते हैं ये इतिहासिक एलान क्यूबा वालों के लिए उम्मीद से भी बढ़ कर बात थी.
ग्रांट के अनुसार, "यहां उत्साह का माहौल है. उन्हें लगता है कि इससे रोजगार के अवसर पैदा होंगे आमदनी बढ़ेगी और देश में खुशहाली आएगी. आम तौर से क्यूबा के लोगों में इसे लेकर उत्साह है "

कूटनीतिक लचक

लेकिन अमरीकी कूटनीति में अचानक लचक कैसे आई? इस परिवर्तन के कारण क्या थे?
ओबामा, राउल कास्त्रो
बीबीसी मुंडो के विशेषज्ञ आर्तुरो वालस कहते हैं, "मेरी समझ में इसके कई कारण हैं ख़ास कारण ये है कि अमरीका ने ये महसूस किया कि उसकी नीति काम नहीं कर रही है. क्यूबा पर पचास साल से लगे अमरीकी प्रतिबन्ध से क्यूबा में लोकतंत्र बहाल करने का अमरीका का उद्देश्य काम नहीं कर रहा था."
"इसके अलावा अब दुनिया काफी बदल चुकी है. अमरीका की विदेशी नीतियों का केंद्र अब क्यूबा या लातिनी अमरीका नहीं रहा."
क़ुदरत का ये नियम है कि हर कुछ समय बाद पुरानी व्यवस्था बदलती है नया दौर का आरम्भ होता है. लेकिन 17 दिसंबर की अमरीका और क्यूबा के बीच संबंधों में सुधार की घोषणा एक गंभीर बदलाव है. तब से आगे कितनी प्रगति हुई है?
क्यूबा
हवाना में बीबीसी संवाददाता विल ग्रांट कहते हैं, "अगर आप दशकों की गहरी दुश्मनी को ख़त्म करने की कोशिश कर रहे हैं तो इस में समय लगता है. मेरे विचार में अमरीकियों की ख्वाहिश थी कि इसमें तेज़ी से प्रगति हो."
"राष्ट्रपति ओबामा चाहते हैं कि पनामा में अप्रैल में होने वाले लातिन अमरीकी शिखर सम्मलेन से पहले दोनों देश एक दूसरे की राजधानी में दूतावास खोलें लेकिन अब अप्रैल तक ये मुश्किल नज़र आता है."

बदलाव की संभावना

क्यूबा अमरीका
अमरीका ने कुछ कदम उठाए हैं जैसे कि अब अमरीकी नागरिक सीमित रूप से क्यूबा जा सकते हैं. क्यूबा ने निजी व्यसाय को बढ़ावा देना शुरू कर दिया है.
भले ही दूतावास न खुलने और क्यूबा पर अमरीकी प्रतिबन्ध के न उठने के कारण दोनों देशों में आशा की किरणें थोड़ी मद्धम हुई है लेकिन क्यूबा में आर्थिक सुधार के आसार साफ़ नज़र आते हैं.
संभव है कि आने वाले दिनों में आर्थिक दबाव में आकर क्यूबा में बदलाव आए और एक दिन वहां चुनाव हों, लोकतंत्र बहाल हो जाए. यही तो उद्देश्य है अमरीका का.

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