Saturday, 19 December 2015

'कभी राजीव गांधी के ख़ास दोस्त थे स्वामी'

नेशनल हेरल्ड मामले में सोनिया गांधी और राहुल गांधी को अदालत तक लाने वाले सुब्रमण्यम स्वामी अपने सार्वजनिक जीवन में कई वजहों से चर्चा में रहे हैं. कभी प्रतिभाशाली गणितज्ञ के तौर पर मशहूर रहे स्वामी को कानून का जानकार भी माना जाता है.
उनके अब तक के सफ़र से जुड़ी 10 दिलचस्प बातें-
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1- स्वामी के पिता सीताराम सुब्रमण्यम जाने माने गणितज्ञ थे. वे एक समय में केंद्रीय सांख्यिकी इंस्टीच्यूट के डायरेक्टर थे. पिता की तरह ही स्वामी भी गणितज्ञ बनना चाहते थे. उन्होंने हिंदू कॉलेज से गणित में स्नातक की डिग्री ली. इसके बाद से भारतीय सांख्यिकी इंस्टीच्यूट, कोलकाता पढ़ने गए.
2- स्वामी के जीवन का विद्रोही गुण पहली बार कोलकाता में ज़ाहिर हुआ. उस वक्त भारतीय सांख्यिकी इंस्टीच्यूट, कोलकाता के डायरेक्टर पीसी महालानोबिस थे, जो स्वामी के पिता के प्रतिद्वंद्वी थे. लिहाजा उन्होंने स्वामी को ख़राब ग्रेड देना शुरू किया. स्वामी ने 1963 में एक शोध पत्र लिखकर बताया कि महालानोबिस की सांख्यिकी गणना का तरीका मौलिक नहीं है, बल्कि यह पुराने तरीके पर ही आधारित है.
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3- स्वामी ने महज 24 साल में हार्वर्ड विश्वविद्यालय से पीएचडी की डिग्री हासिल कर ली. 27 साल में वे हार्वर्ड में गणित पढ़ाने लगे थे. 1968 में अमृत्य सेन ने स्वामी को दिल्ली स्कूल ऑफ़ इकॉनामिक्स में पढ़ाने का आमंत्रण दिया. स्वामी दिल्ली आए और 1969 में आईआईटी दिल्ली से जुड़ गए.
4- उन्होंने आईआईटी के सेमिनारों में ये कहना शुरू किया कि भारत को पंचवर्षीय योजनाएं खत्म करनी चाहिए और विदेशी फंड पर निर्भरता हटानी होगी. इसके बिना भी भारत 10 फ़ीसदी की विकास दर को हासिल कर सकता है. स्वामी तब इतने महत्वपूर्ण हो चुके थे कि उनकी राय पर प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा था यह विचार वास्तविकता से परे है.
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5- इंदिरा गांधी की नाराजगी के चलते स्वामी को दिसंबर, 1972 में आईआईटी दिल्ली की नौकरी गंवानी पड़ी. वे इसके ख़िलाफ़ अदालत गए और 1991 में अदालत का फ़ैसला स्वामी के पक्ष में आया. वे एक दिन के लिए आईआईटी गए और इसके बाद अपना इस्तीफ़ा दे दिया.
6- नानाजी देशमुख ने स्वामी को जनसंघ की ओर से राज्यसभा में 1974 में भेजा. आपातकाल के 19 महीने के दौर में सरकार उन्हें गिरफ़्तार नहीं कर सकी. इस दौरान उन्होंने अमरीका से भारत आकर संसद सत्र में हिस्सा भी ले लिया और वहां से फिर ग़ायब भी हो गए.
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7- 1977 में जनता पार्टी के संस्थापक सदस्यों में रहे. 1990 के बाद वे जनता पार्टी के अध्यक्ष रहे. 11 अगस्त, 2013 को उन्होंने अपनी पार्टी का विलय भारतीय जनता पार्टी में कर दिया.
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8- चंद्रशेखर के प्रधानमंत्रित्व काल में वाणिज्य एवं कानून मंत्री रहते हुए उन्होंने आर्थिक सुधारों की नींव रखी थी. नरसिम्हा राव सरकार के समय विपक्ष में होने के बावजूद स्वामी को कैबिनेट रैंक का दर्जा हासिल था.
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9-सोनिया गांधी को मुश्किल में डालने वाले स्वामी ने 1999 में वाजपेयी सरकार को गिराने की कोशिश की थी. इसके लिए उन्होंने सोनिया और जयललिता की अशोक होटल में मुलाक़ात भी कराई. हालांकि ये कोशिश नाकाम हो गई. इसके बाद वे हमेशा गांधी परिवार के ख़िलाफ़ ही नज़र आए.
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10- हालांकि एक समय में स्वामी राजीव गांधी के नजदीकी दोस्तों में भी शामिल थे. बोफोर्स कांड के दौरान वे सदन में ये सार्वजनिक तौर पर ये कह चुके थे कि राजीव गांधी ने कोई पैसा नहीं लिया है. एक इंटरव्यू में स्वामी का दावा है कि वे राजीव के साथ घंटों समय व्यतीत किया करते थे और उनके बारे में सबकुछ जानते थे.

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