Sunday, 4 October 2015

1983 का विश्व कप


1983 की विजेता भारतीय टीम

लगातार तीसरी बार इंग्लैंड ने ही विश्व कप की मेजबानी की. 1983 का विश्व कप भारतीय टीम के लिए बहुत अहम साबित हुआ.
कमज़ोर समझी जाने वाली भारतीय टीम ने दिग्गजों को धूल चटाई और पहली बार विश्व कप पर क़ब्ज़ा किया.
इस विश्व कप का स्वरूप कमोबेश पहले जैसा ही था. चार-चार के दो ग्रुपों में टीमों को बाँटा गया.
अंतर सिर्फ़ ये हुआ कि अब ग्रुप की टीमों को आपस में एक-एक नहीं दो-दो मैच खेलने थे.

नियम बदले


विश्व कप की टीमें

वाइड और बाउंसर गेंदों के लिए भी नियम कड़े किए गए और 30 गज के दायरे में चार खिलाड़ियों को रहना ज़रूरी कर दिया गया.
ग्रुप ए में इंग्लैंड, पाकिस्तान, न्यूज़ीलैंड और श्रीलंका की टीमें थी, तो ग्रुप बी में वेस्टइंडीज़, भारत, ऑस्ट्रेलिया और ज़िम्बाब्वे की टीमें.
भारत ने इस विश्व कप की शानदार शुरुआत की. उसने अपने पहले ही मैच में विश्व चैम्पियन वेस्टइंडीज़ की टीम को 34 रनों से हराया. भारत ने ऑस्ट्रेलिया और ज़िम्बाब्वे को भी मात दी. भारत ने छह में से चार मैच जीते और वेस्टइंडीज़ के साथ सेमी फ़ाइनल में पहुँची.
ग्रुप ए से पाकिस्तान और इंग्लैंड सेमीफ़ाइनल में पहुँचे.

विवियन रिचर्ड्स

पहले सेमी फ़ाइनल में मेजबान इंग्लैंड का मुक़ाबला भारत से हुआ.
कपिल देव, रोजर बिन्नी और मोहिंदर अमरनाथ की शानदार गेंदबाज़ी के कारण भारत ने इंग्लैंड को 213 रनों पर ही समेट दिया.
जब बल्लेबाज़ी की बारी आई, तो अमरनाथ, यशपाल शर्मा और संदीप पाटिल ने शानदार बल्लेबाज़ी कर भारत को 55वें ओवर में ही चार विकेट के नुक़सान पर जीत दिला दी.
दूसरे सेमी फ़ाइनल में पाकिस्तान को वेस्टइंडीज़ ने बुरी तरह हराया.

ख़िताबी भिड़ंत


कपिल देव

फ़ाइनल में वेस्टइंडीज़ का मुक़ाबला था भारत से. वेस्टइंडीज़ ने भारत को सिर्फ़ 183 रनों पर समेट कर शानदार शुरुआत की और जवाब में एक विकेट पर 50 रन भी बना लिए.
वेस्टइंडीज़ समर्थक जीत का जश्न मनाने की तैयारी करने लगे. लेकिन मोहिंदर अरमनाथ और मदन लाल ने मैच का पासा ही पलट दिया.
हेंस और रिचर्ड्स का अहम विकेट मदन लाल को मिला तो बिन्नी की गेंद पर क्लाइव लॉयड को बेहतरीन कैच लपका कपिल देव ने.
बाद में अमरनाथ ने दुजों, मार्शल और होल्डिंग को भी पैवेलियन लौटा दिया. वेस्टइंडीज़ की पूरी टीम 140 रन बनाकर आउट हो गई और भारत पहली बार विश्व कप का विजेता बना

1987 विश्व कप

लगातार तीन विश्व कप की मेजबानी के बाद वर्ष 1987 के विश्व कप की मेजबानी भारत और पाकिस्तान को संयुक्त रूप से मिली.

कपिल देव

मैच का स्वरूप तो वही रहा लेकिन ओवर घटाकर 50 ओवर कर दिए गए. इसी विश्व कप से मैचों में निष्पक्ष अंपायरिंग के लिए दो देशों के मैच में तीसरे देश के अंपायर रखे जाने लगे.
भारत की टीम ने ग्रुप मुक़ाबलों में शानदार प्रदर्शन किया और शीर्ष पर रही.
ग्रुप बी से पाकिस्तान की टीम ने बेहतरीन प्रदर्शन किया और पहले स्थान हासिल किया. पहली बार वेस्टइंडीज़ की टीम सेमी फ़ाइनल में भी नहीं पहुँच पाई.
पहले सेमी फ़ाइनल में लाहौर में ऑस्ट्रेलिया ने पाकिस्तान को शिकस्त दी और दूसरी बार फ़ाइनल में जगह बनाई.
दूसरे सेमी फ़ाइनल में मेजबान भारत का मुक़ाबला था इंग्लैंड से.

गूच और गैटिंग डटे


ग्राहम गूच

मुंबई की पिच पर ग्राहम गूच और माइक गैटिंग ने स्वीप शॉट खेल-खेलकर भारतीय गेंदबाज़ों के छक्के छुड़ा दिए.
इंग्लैंड ने 50 ओवर में छह विकेट पर 254 रन बनाए. भारत के लिए यह स्कोर भारी पड़ा और पूरी टीम 219 रन बनाकर आउट हो गई.
फ़ाइनल में इंग्लैंड का मुक़ाबला हुआ ऑस्ट्रेलिया से. ऑस्ट्रेलिया ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाज़ी करते हुए 50 ओवर में पाँच विकेट पर 253 रन बनाए.
इंग्लैंड एक बार फिर दुर्भाग्यशाली रहा और विश्व कप का ख़िताब उनसे दूर रह गया. ऑस्ट्रेलिया ने सात रन से जीत हासिल कर विश्व कप पर पहली बार क़ब्ज़ा जमाया.

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