Wednesday, 1 June 2016

कनाडा के पीएम ने कोमागाटा मारू के लिए सिखों से माफी क्यों मांगी?

कनाडा के पीएम ने कोमागाटा मारू के लिए सिखों से माफी क्यों मांगी?
वैंकूवर म्यूजियम

कोमागाटा मारू

21 May 2016

कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने बुधवार को कनाडा की संसद में कोमागाटा मारू जहाज पर सवार यात्रियों के वंशज और सिखों से माफी मांगी. ट्रूडो ने कहा कि जिस दर्द और पीड़ा से वो लोग गुजरे उसे कोई शब्द नहीं मिटा सकता.
आखिर करीब 102 साल पहले के लिए एक फैसले पर कनाडाई पीएम ने क्यों माफी मांगी? और क्या थी वो घटना?

कामागाटा मारू जहाज

कोमागाटा मारू कोयला ढोने वाला, भाप-इंजन से चलने वाला पानी का जहाज था. हॉन्गकॉन्ग में रहने वाले कारोबारी गुरदीत सिंह ने इसे यात्री जहाज में बदलवाया था. उस समय भारत और हॉन्गकॉन्ग दोनों ब्रितानी शासन के अधीन थे.
अप्रैल 1914 में ये जहाज कनाडा के लिए निकला. करीब एक महीने की यात्रा करके जहाज मई 1914 में कनाडा के वैंकूवर के एक बंदरगाह पर पहुंचा. जहाज में 376 यात्री सवार थे. जिनमें ज्यादातर सिख थे.

नया कानून और विवाद

कनाडा में 1908 में अप्रवासी भारतीयों की आमद को रोकने के लिए एक कानून बनाया गया था. इस कानून के अनुसार वही लोग कनाडा आ सकते थे जो अपने मूल देश से बीच में कहीं और रुके बिना सीधे कनाडा आए हों. उस समय समुद्री मार्ग से भारत से सीधे कनाडा जाना संभव नहीं था. अगर कोई भारतीय भारत से कनाडा सीधे जलमार्ग से पहुंच भी जाता तो इस कानून के अनुसार उन्हें 200 डॉलर प्रवेश शुल्क देना होता. जो उस जमाने में एक बड़ी राशि थी. ये कानून मुलतः नस्ली भेदभाव की भावना से प्रेरित था.
कनाडा के अधिकारियों ने कोमागाटा मारू को बंदरगाह से कुछ दूर समुद्र में ही रोक दिया. जहाज़ के डॉक्टर एवं उनके परिवार और 20 कनाडाई नागरिकों समेत कुल 24 लोगों को कनाडा में प्रवेश करने की इजाज़त दी गयी.
लगभग दो महीने के गतिरोध के बाद, जहाज़ को 23 जुलाई 1914 को कनाडाई नौसेना द्वारा बलपूर्वक वापस लौटा दिया गया.

भारत में अंग्रेजों की गोलाबारी

अमेरिका और कनाडा में 1913 में भारतीयों ने गदर पार्टी का गठन किया था. गदर पार्टी का मकसद भारत को अंग्रेजों की गुलामी से आजादी दिलाना था. बाबा गुरदीत सिंह गदर पार्टी से जुड़े हुए थे. अंग्रेजी सरकार को आशंका थी कि जहाज से गदर पार्टी के समर्थक भारत में आएंगे.
लंबी समुद्री यात्रा के बाद ये जहाज तत्कालीन कलकत्ता के बजबज बंदरगाह पर पहुंचा. 29 सितंबर 1914 को बाबा गुरदीत सिंह और अन्य नेताओं को गिरफ्तार करने के लिए जहाज़ पर पुलिस भेजी गई. गिरफ्तारी का यात्रियों ने विरोध किया.
अंग्रेज़ी हुकमत यात्रियों पर गोली चलाने का आदेश दिया. गोलीबारी में 19 यात्री मारे गए. कइयों को बंदी बना लिया गया. हालांकि, बाबा गुरदीत सिंह कई अन्य लोगों के साथ भाग निकले.

क्यों मांगी माफी?

कनाडा में करीब पांच लाख सिख रहते हैं. कनाडा की राजनीति में सिखों का प्रभाव साल-दर-साल बढ़ता जा रहा है.
जस्टिन ट्रूडो ने पिछले साल पीएम बनने के बाद चार सिखों को अपने मंत्रिमंडल में जगह दी थी. जबकि उस समय भारतीय केंद्रीय मंत्रिमंडल में केवल दो सिख मंत्री थे.
कनाडा के सिख लंबे समय से देश की सरकार से कोमागाटा मारू की अमानवीय हरकत के लिए माफी मांगने की मांग कर रहे थे.
जस्टिन ट्रूडो को सिख अल्पसंख्यकों को  काफी समर्थन प्राप्त है. कोमागाटा मारू के लिए माफी मांग कर उन्होंने एक बार स्थायीन सिखों समेत पूरी दुनिया का दिल जीतने की कोशिश की है.
पिछले साल एक मई को कनाडा सरकार ने कोमागाटा मारू की याद में डाक टिकट जारी किया था.

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